हिंदी फिल्म 'मेरा नाम जोकर' की पंक्तियां पढ़ते हुए सुप्रीम कोर्ट में जज जस्टिस एम. आर. शाह बेहद भावुक हो गए और उनका गला रुंध आया. इसी के साथ सोमवार को वो सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो गए. जस्टिस एमआर शाह सोमवार को परंपरा के मुताबिक, सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ के साथ बेंच में बैठे थे.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस शाह को लेकर अटार्नी जनरल आर वेंकटरमनी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता समेत कई वकीलों ने उनकी तारीफ की. जस्टिस शाह ने सभी को धन्यवाद देते हुए हिंदी फिल्मी गीत सुनाया- "कल खेल में हम हो ना हो, गर्दिश में तारें रहेंगे सदा..." उसके बाद वो भावुक हो गए और उनका गला रुंध आया.
दरअसल, जस्टिस शाह का नाम सुप्रीम कोर्ट में सबसे ज्यादा फैसले देने वाले जजों में शुमार है. करीब चार साल में उन्होंने करीब 712 जजमेंट सुनाए हैं. वो हाल ही में सुनाए गए संविधान पीठ में भी शामिल थे, जिसने शिवसेना विवाद और दिल्ली सरकार बनाम एलजी मामलों का फैसला सुनाया था.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने इस अवसर पर कहा कि वह एक सच्चे दोस्त और कॉलेजियम के बड़े सहयोगी थे. मेरे पास बहुत-सी गुप्त कहानियां हैं. जस्टिस शाह ने कहा कि मुझे क्षमा करें यदि मैं भावुक हो जाता हूं और रोना शुरू कर देता हूं, क्योंकि मैं नारियल की तरह हूं. आप सभी ने मुझे परिवार के सदस्य के रूप में स्वीकार किया है और मुझे पूरा समर्थन दिया है. CJI ने मुझे एक भाई के रूप में प्रोत्साहित किया है और मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है.
उन्होंने कहा, "मैं हमेशा काम और वादी के साथ न्याय करने की कोशिश करता हूं. मैंने हमेशा बिना किसी डर या पक्षपात के अपने कर्तव्यों का पालन किया. अगर मैंने किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है, तो मैं माफी मांगता हूं. मैं हमेशा काम में विश्वास करता हूं. सभी ने कहा है कि मेरे न्यायालय में मैं वरिष्ठ और जूनियर को समान मानता था, लेकिन मैं थोड़ा अलग सोचता हूं. मेरा 5% जूनियर की ओर अधिक झुकाव रहा और हमेशा सोचता था कि उन्हें बहस करने वाला वकील होना चाहिए. मैं सेवानिवृत्त होने वाला व्यक्ति नहीं हूं, मैं एक नई पारी शुरू करने जा रहा हूं और सर्वशक्तिमान से उनका आशीर्वाद मांगूंगा."
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