विज्ञापन

बिहार सरकार को अनुसूचित जातियों की लिस्ट में छेड़छाड़ का... तांती-ततवा समुदाय विवाद पर SC

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार सरकार (Bihar Government) अच्छी तरह जानती थी कि उसके पास कोई अधिकार नहीं है और इसलिए उसने 2011 में 'तांती-ततवा' को 'पान, सावासी, पंर' के पर्याय के रूप में अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल करने के लिए केंद्र को अपना अनुरोध भेजा था.

बिहार सरकार को अनुसूचित जातियों की लिस्ट में छेड़छाड़ का... तांती-ततवा समुदाय विवाद पर SC
तांती-ततवा समुदाय विवाद मामले में SC की फटकार.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की 2015 की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया है, जिसके तहत उसने अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) से 'तांती-ततवा' जाति (Tanti-Tatwa Community Dispute) को हटाकर अनुसूचित जातियों की सूची में 'पान/सावासी' जाति के साथ मिला दिया था. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने कहा कि राज्य सरकार के पास संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत प्रकाशित अनुसूचित जातियों की सूची में छेड़छाड़ करने का कोई अधिकार या क्षमता नहीं है. बेंच ने कहा कि अधिसूचना के खंड-1 के तहत निर्दिष्ट अनुसूचित जातियों की सूची में केवल संसद द्वारा बनाए गए कानून द्वारा ही संशोधन या परिवर्तन किया जा सकता है.

2015 का संकल्प स्पष्ट रूप से अवैध और त्रुटिपूर्ण

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 341 के मुताबिक, न तो केंद्र सरकार और न ही राष्ट्रपति संसद द्वारा पारित कानून के बिना धारा-एक के तहत जारी अधिसूचना में कोई संशोधन या परिवर्तन कर सकते हैं, जिसमें राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के संबंध में जातियों को निर्दिष्ट किया गया हो. बेंच ने सोमवार को सुनाए अपने फैसले में कहा, "हमें यह मानने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि एक जुलाई, 2015 का संकल्प स्पष्ट रूप से अवैध और त्रुटिपूर्ण था, क्योंकि राज्य सरकार के पास संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत प्रकाशित अनुसूचित जातियों की सूची में छेड़छाड़ करने की कोई क्षमता/शक्ति नहीं थी."

शीर्ष अदालत ने कहा कि बिहार सरकार अच्छी तरह जानती थी कि उसके पास कोई अधिकार नहीं है और इसलिए उसने 2011 में 'तांती-तंतवा' को 'पान, सावासी, पंर' के पर्याय के रूप में अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल करने के लिए केंद्र को अपना अनुरोध भेजा था. बेंच ने कहा, 'उक्त अनुरोध स्वीकार नहीं किया गया और आगे की टिप्पणियों/औचित्य/समीक्षा के लिए वापस कर दिया गया, इसे अनदेखा करते हुए, राज्य सरकार ने एक जुलाई, 2015 को परिपत्र जारी किया.'

2015 का विवादित प्रस्ताव रद्द

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने फैसला सुनाया, "एक जुलाई, 2015 का विवादित प्रस्ताव रद्द किया जाता है." बेंच ने कहा कि राज्य की कार्रवाई दुर्भावनापूर्ण और संवैधानिक प्रावधानों के विरुद्ध पाई गई है और राज्य को उसके द्वारा की गई शरारत के लिए माफ नहीं किया जा सकता. इसने कहा, 'संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत सूचियों में शामिल अनुसूचित जातियों के सदस्यों को वंचित करना एक गंभीर मुद्दा है. कोई भी व्यक्ति जो इस सूची के योग्य नहीं है और इसके अंतर्गत नहीं आता है, अगर राज्य सरकार द्वारा जानबूझकर और शरारती कारणों से ऐसा लाभ दिया जाता है, तो वह अनुसूचित जातियों के सदस्यों का लाभ नहीं छीन सकता है.'

शीर्ष अदालत ने कहा कि चूंकि उसे राज्य सरकार के आचरण में दोष मिला है, न कि 'तांती-तंतवा' समुदाय के किसी व्यक्तिगत सदस्य में, इसलिए वह यह निर्देश नहीं देना चाहती कि उनकी सेवाएं समाप्त की जा सकती हैं या अवैध नियुक्तियों या अन्य लाभों की वसूली की जा सकती है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Previous Article
लॉरेंस बिश्नोई से दुश्मनी खत्म करने के लिए 5 करोड़ दो, वरना बाबा सिद्दीकी से बुरा हाल : सलमान खान को धमकी
बिहार सरकार को अनुसूचित जातियों की लिस्ट में छेड़छाड़ का... तांती-ततवा समुदाय विवाद पर SC
चंडीगढ़ में आज हरियाणा बीजेपी नेताओं की बैठक, शपथ ग्रहण की तैयारियों पर होगी चर्चा
Next Article
चंडीगढ़ में आज हरियाणा बीजेपी नेताओं की बैठक, शपथ ग्रहण की तैयारियों पर होगी चर्चा
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com