
केरल RSS नेता श्रीनिवासन की हत्या का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने PFI सदस्य को जमानत दे दी है. कोर्ट ने टिप्पणी की है कि 'विचारधारा के लिए आप किसी को जेल में नहीं डाल सकते'.आजकल हम यही ट्रेंड देख रहे हैं . केरल के आरएसएस नेता की हत्या के मामले में आरोपी PFI सदस्य अब्दुल सत्तार की जममानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अभय एस ओक ने टिप्पणी की. यह प्रवृत्ति हम देख रहे हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि हमने एक खास विचारधारा अपनाई. दरअसल, आरोपी भारत सरकार द्वारा PFI पर प्रतिबंध लगाए जाने से पहले PFI का सचिव था.
सुनवाई के दौरान NIA की ओर से कहा गया कि वह हत्या की एफआईआर में नहीं है. आरोप है कि PFI के महासचिव के रूप में उसने कैडर की भर्ती, हथियार प्रशिक्षण आदि के लिए कदम उठाए हैं. इसके लिए 71 मामले हैं. सभी 71 मामले विरोध प्रदर्शन के थे. केरल हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि उसे सभी मामलों में आरोपित किया जाए क्योंकि वह महासचिव था. वह सभी मामलों में जमानत पर है. धारा 353 के तहत सात मामले हैं, धारा 153 के तहत 3 मामले हैं. उसने हर चीज में हिस्सा लिया है और वह अपराध दोहराता रहता है. सभी विरोध प्रदर्शन एजेंडे के लिए हैं. उसे अपराध करने से रोकने के लिए उसे सलाखों के पीछे रखने के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं है.
जस्टिस ओक ने कहा- दृष्टिकोण की यही समस्या है. दृष्टिकोण यह है कि हम व्यक्ति को सलाखों के पीछे रखेंगे. जस्टिस उज्जल भुइयां ने कहा कि प्रक्रिया ही सजा है. जस्टिस ओक ने कहा कि विचारधारा के कारण व्यक्ति को जेल में नहीं रखा जा सकता. NIA ने कहा कि विचारधारा गंभीर अपराधों को जन्म देती है, लेकिन अदालत ने कहा कि
आरोपी की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है.पिछले लगभग सभी मामले सितंबर 2022 में हुए विरोध प्रदर्शनों से संबंधित हैं.लिहाजा जमानत दी जाती है.
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