धार्मिक शोभा यात्राओं के दौरान सरकार की ओर से तय दिशा-निर्देशों पर अमल सुनिश्चित कराने की मांग की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता शीतलवाड़ के संगठन सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस की याचिका खारिज कर दी. सीजेआई (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे. कुछ घटनाओं को धारणा बना लेना ठीक नहीं है. ये क्यों दिखाना चाहते हैं कि त्योहारों के दौरान दंगे होते हैं. सकारात्मक देखने की कोशिश करें.
चीफ जस्टिस ने कहा कि महाराष्ट्र में गणेश उत्सव के दौरान शोभायात्रा में लाखों लोग शामिल होते हैं, लेकिन कोई भी अप्रिय घटना नहीं होती. ऐसे चित्रित न करें जैसे कि सभी धार्मिक जुलूस दंगों का एक स्रोत हैं. यह कानून और व्यवस्था का मुद्दा है. राज्य सरकार, पुलिस द्वारा इसका ध्यान रखा जा सकता है.
वहीं याचिकाकर्ता की ओर से सीयू सिंह ने कहा कि जुलूस के लिए इन अनुमतियों से संबंधित दिशा-निर्देश हैं. उनमें से कोई भी लागू नहीं होता है. समग्र मार्गदर्शन होना चाहिए. धार्मिक उत्सवों के दौरान तलवारें, आग्नेयास्त्र लेकर जुलूस निकाले जाते हैं.
सीजेआई ने कहा कि देश विविध है. एक भाग की परिस्थितियां भारत के अन्य भागों से भिन्न हैं. आप चाहते हैं कि हम एक एसओपी लेकर आएं.
याचिका में कहा गया है देशभर में अलग-अलग धर्मों की होने वाली शोभायात्रा के दौरान कई घटनाएं होती हैं, जिन पर रोक लगाई जानी चाहिए.
तीस्ता सीतलवाड़ की अगुवाई वाले सिटीजन् फॉर जस्टिस एंड पीस ने जनहित याचिका में धार्मिक 'शोभा यात्राओं' के सख्त नियमन की मांग की थी, जहां लोग हथियार लहराते हैं. जनहित याचिका में कहा गया है कि धार्मिक उत्सवों के दौरान निकाली जाने वाली ऐसी 'शोभा यात्राओं' के दौरान दंगे होना आम बात हो गई है. देशभर में अलग-अलग धर्मों की होने वाली शोभायात्रा के दौरान कई हिंसक घटनाएं हुई हैं.
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