नई दिल्ली:
संसद की कैंटीन में खानपान पर सब्सिडी ख़त्म हो गई जिसके बाद यहां खाना पहले से दो-तीन गुना महंगा हो गया है। संसद के रिसेप्शन बिल्डिंग की कैंटीन में खाने वालों की हर दिन भीड़ होती है। लेकिन अब यहां खाने के लिए लोगों को अपनी जेब ज़्यादा ढीली करनी पड़ रही है।
जो चाय पहले 2 रुपये की मिलती थी वो अब क़रीब 6 रुपये की हो गई है। इसी तरह चावल 4 रुपये प्लेट की जगह 12 रुपये प्लेट, कढ़ी पकौड़ा 6 रुपये की जगह 12 रुपये की, शाकाहारी थाली जो 18 रुपये की थी वो 34 की हो गई है। चिकन और मटन करी 20 रुपये से 40 की हो गई है। रोटी 1 रुपये की जगह 3 रुपये की, चिकन बिरयानी 55 रुपये की जगह 104 रुपये की हो गई है।
संसद में एक कैंटीन मीडिया के लिए तो एक सिर्फ सांसदों के लिए आरक्षित है। एक आंकड़े के मुताबिक़ जब संसद चल रही होती है तो यहां खाने वालों में 9 फ़ीसदी तादाद सांसदों की होती है और तीन फ़ीसदी पत्रकारों की। संसद के भीतर कैटरिंग का ज़िम्मा रेलवे संभालती है। यहां खाने पर दी जाने वाली सब्सिडी को लेकर बहुत सवाल उठे। नतीजतन इस साल की शुरुआत में ही इसे ख़त्म करने का फ़ैसला किया गया।
जो चाय पहले 2 रुपये की मिलती थी वो अब क़रीब 6 रुपये की हो गई है। इसी तरह चावल 4 रुपये प्लेट की जगह 12 रुपये प्लेट, कढ़ी पकौड़ा 6 रुपये की जगह 12 रुपये की, शाकाहारी थाली जो 18 रुपये की थी वो 34 की हो गई है। चिकन और मटन करी 20 रुपये से 40 की हो गई है। रोटी 1 रुपये की जगह 3 रुपये की, चिकन बिरयानी 55 रुपये की जगह 104 रुपये की हो गई है।
संसद में एक कैंटीन मीडिया के लिए तो एक सिर्फ सांसदों के लिए आरक्षित है। एक आंकड़े के मुताबिक़ जब संसद चल रही होती है तो यहां खाने वालों में 9 फ़ीसदी तादाद सांसदों की होती है और तीन फ़ीसदी पत्रकारों की। संसद के भीतर कैटरिंग का ज़िम्मा रेलवे संभालती है। यहां खाने पर दी जाने वाली सब्सिडी को लेकर बहुत सवाल उठे। नतीजतन इस साल की शुरुआत में ही इसे ख़त्म करने का फ़ैसला किया गया।
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