कांग्रेस नेता जयराम रमेश (फाइल फोटो)
हैदराबाद:
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव की पुस्तक से केंद्रीय बैंक की स्वायतता को लेकर शुरू हुई बहस के बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने उन पर अनावश्यक विवाद खड़ा करने तथा अपने राजनीतिक आकाओं के प्रति अन्याय का आरोप लगाया है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर के तौर पर पांच साल के अपने कार्यकाल पर लिखी पुस्तक 'हू मूव्ड माई इंटरेस्ट रेट्स - लीडिंग द रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया थ्रू फाइव टर्बलेंट ईयर्स' में सुब्बाराव ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम तथा प्रणब मुखर्जी पर रिजर्व बैंक के कामकाज विशेष रूप से ब्याज दरें तय करने में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है। उनके साथ मतभेदों के चलते उनके दो डिप्टी गवर्नरों को विस्तार नहीं मिला था।
रमेश ने कहा कि रिजर्व बैंक हमेशा से स्वतंत्र रहा है। उन्होंने दलील दी कि सरकार को देश के लोगों को जवाब देना होता है, केंद्रीय बैंक को नहीं। रमेश ने कहा, 'ऐसे में डॉ सुब्बाराव ने जो विवाद छेड़ा है, उसकी जरूरत नहीं थी। आखिरकार वित्त मंत्री को कई विचारों पर ध्यान देना होता है, जबकि रिजर्व बैंक के गवर्नर इकलौती सोच के साथ रुख तय कर सकते हैं।'
कांग्रेस नेता ने कहा, प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री निश्चित रूप से इस तरह का रुख नहीं अपना सकते हैं। ऐसे में मुझे लगता है कि सुब्बाराव ने अपने राजनीतिक आकाओं के साथ नाइंसाफी की है। रमेश ने सहयोगी बैंकों के एसबीआई में विलय के प्रस्ताव का विरोध करते हुए इसे 'पश्चिमी सोच' बताया। उन्होंने इसे गलत सलाह से उठाया गया कदम बताया।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
रिजर्व बैंक के गवर्नर के तौर पर पांच साल के अपने कार्यकाल पर लिखी पुस्तक 'हू मूव्ड माई इंटरेस्ट रेट्स - लीडिंग द रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया थ्रू फाइव टर्बलेंट ईयर्स' में सुब्बाराव ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम तथा प्रणब मुखर्जी पर रिजर्व बैंक के कामकाज विशेष रूप से ब्याज दरें तय करने में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है। उनके साथ मतभेदों के चलते उनके दो डिप्टी गवर्नरों को विस्तार नहीं मिला था।
रमेश ने कहा कि रिजर्व बैंक हमेशा से स्वतंत्र रहा है। उन्होंने दलील दी कि सरकार को देश के लोगों को जवाब देना होता है, केंद्रीय बैंक को नहीं। रमेश ने कहा, 'ऐसे में डॉ सुब्बाराव ने जो विवाद छेड़ा है, उसकी जरूरत नहीं थी। आखिरकार वित्त मंत्री को कई विचारों पर ध्यान देना होता है, जबकि रिजर्व बैंक के गवर्नर इकलौती सोच के साथ रुख तय कर सकते हैं।'
कांग्रेस नेता ने कहा, प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री निश्चित रूप से इस तरह का रुख नहीं अपना सकते हैं। ऐसे में मुझे लगता है कि सुब्बाराव ने अपने राजनीतिक आकाओं के साथ नाइंसाफी की है। रमेश ने सहयोगी बैंकों के एसबीआई में विलय के प्रस्ताव का विरोध करते हुए इसे 'पश्चिमी सोच' बताया। उन्होंने इसे गलत सलाह से उठाया गया कदम बताया।
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