लोकसभा में गुरवार को सत्तारूढ़ भाजपा की एक सांसद ने जब कावेरी जल को लेकर तमिलनाडु के साथ काफी समय से लंबित विवाद का जिक्र किया, तब स्पीकर ओम बिरला ने उन्हें कहा कि, ‘वहां लड़ें, यहां नहीं.' कर्नाटक से भाजपा सांसद शोभा करांदलज ने प्रश्नकाल में जब अपने राज्य के विभिन्न हिस्सों में पेयजल की कमी का मुद्दा उठाया तब उन्होंने कावेरी जल को लेकर तमिलनाडु एवं अन्य राज्यों के साथ विवाद का भी जिक्र किया. इस दौरान उन्होंने पड़ोसी राज्यों से विपक्ष की कुर्सियों पर बैठे सदस्यों की ओर भी इशारा किया. इस पर स्पीकर ने टिप्पणी की, ‘वहां लड़े, यहां नहीं लड़ें', जिससे सदन में सदस्यों के ठहाके गूंज उठे.
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केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि राज्यों के बीच ज्यादातर नदी विवाद अदालतों में, या अधिकरणों में हैं. शेखावत ने राज्यों से सहयोग की अपील करते हुए कहा, ‘आदर्श स्थिति यह है कि नदियों को जोड़ा जाए. अधिकरण के फैसले आने के बाद ही प्रभावी कदम उठाए जा सकते हैं. हमने नदियों के कई ‘लिंक' (नदियों को जोड़ने) की पहचान की है. यदि हालात से कुछ समझौता (पानी की जरूरतों और उपलब्धता) सारे राज्य करें, तो इसका स्थायी समाधान किया जा सकता है. राज्यों को इस पर एक साथ बैठ कर विचार करना चाहिए.'
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इस बीच, स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि वह इस विषय को नियम 139 के तहत चर्चा के लिए लगा रहे हैं. इस पर सभी सदस्यों को अपनी बात रखने की अनुमति देंगे. मंत्री ने कहा कि देश में 65 प्रतिशत से ज्यादा पेयजल भूजल पर निर्भर है. जल शक्ति अभियान के तहत 256 भूजल कमी वाले जिलों में कुल 1592 ब्लॉक चयनित किए गए हैं. उन्होंने कहा कि 1592 ब्लॉक में से 312 बहुत गंभीर स्थिति वाले ब्लॉक हैं, 1186 ब्लॉक भूजल के अत्यधिक दोहन वाले हैं और 94 ब्लॉक में भूजल की कम उपलब्धता वाले हैं.
साथ ही शेखावत ने कहा कि समन्वित प्रबंध सूचना प्रणाली (आईएमआईएस) पर राज्यों द्वारा दी गई रिपोर्टों के मुताबिक अभी देश में कुल 17.87 करोड़ ग्रामीण परिवारों में करीब 3.27 करोड़ (लगभग 18.33 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों को नल से पेयजल मिल रहा है. उन्होंने कहा कि जैसा कि 2019-20 के केंद्रीय बजट भाषण में घोषणा की गई है, जल जीवन मिशन के तहत 2024 तक सभी ग्रामीण परिवारों को पाइप से जलापूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी.
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(इनपुट- भाषा)
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