लोकसभा में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को स्पीकर ओम बिरला ने स्वीकार कर लिया है. बुधवार को ओम बिरला ने लोकसभा में इसका ऐलान किया. शुन्य काल में ओम बिरला ने कहा की उन्हें कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई से नियम 198 के तहत मंत्री परिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस मिला है. स्पीकर की अनुमति मिलते ही कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने एनडीए सरकार के खिलाफ लोक सभा में अविश्वास प्रस्ताव रख दिया. गौरव गोगोइ ने कहा, "मैं प्रस्ताव रखता हूं कि ये सभा मंत्रिपरिषद में अविश्वास व्यक्त करती है."
इसके फ़ौरन बाद स्पीकर ने विपक्षी सांसदों से इसके समर्थन में खड़े होने को कहा और फिर अविश्वास प्रस्ताव के लिए ज़रूरी 50 सांसदों का समर्थन देखकर उसे स्वीकार कर लिया. ओम बिरला ने कहा, "इस प्रस्ताव को अनुमति दी जाती है. मैं नेताओं से चर्चा करके इसपर चर्चा की तारीख और समय तय करके आपको अवगत कराऊंगा."
दरअसल, लोकसभा में बीजेपी के पास स्पष्ट बहुमत है. उसके पास 301 सांसद हैं. एनडीए के सहयोगी दलों को मिलकर ये संख्या 325 के आसपास पहुंच जाती है. विपक्ष का मानना है कि अविश्वास प्रस्ताव के ज़रिए सरकार के कामकाज पर लोकसभा में सवाल उठाने का मौका मिलेगा, जबकि सरकार ने पलटवार करते हुए कहा है कि 2018 में अविश्वास प्रस्ताव गिरने के बाद पार्टी के सदस्यों की संख्या 2019 के लोक सभा चुनावों में और बढ़ गयी थी. इस बार भी यही होगा.
लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता अधिररंजन चौधरी ने एनडीटीवी से कहा, "अविश्वास प्रस्ताव लाने के पीछे मंशा किसी को हराना या जिताना नहीं है. हम अविश्वास प्रस्ताव के जरिए जनता को यह बताना चाहते हैं कि हमारा सरकार पर क्यों अविश्वास है."
BRS संसदीय दाल के नेता, नामा नागेश्वर राव ने एनडीटीवी से कहा, "हम अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मांग करेंगे कि प्रधानमंत्री मणिपुर के घटनाक्रम पर हमारे सवालों का जवाब दें. हम चर्चा के दौरान सरकार के 9.5 साल के कार्यकाल की विफलताओं को रखेंगे -- आर्थिक, रक्षा, विदेश नीति से लेकर सभी मोर्चों पर विफलतओं को सदन में उठायेंगे."
जबकि सरकार की तरफ से संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा, "विपक्ष ने जब 2018 में अविश्वास प्रस्ताव लाया था तो बीजेपी की 2019 लोकसभा चुनावों में सीटें बढ़ गयी थीं. इस बार भी हम 2024 के चुनाव ज्यादा सीटें जीतेंगे. बीजेपी के वरिष्ठ सांसद जगदम्बिका पाल ने एनडीटीवी से कहा कि विपक्ष की मंशा मणिपुर की घटना पर राजनीती करने की है. उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह दो बार लोक सभा में कह चुके हैं कि वो सदन में मणिपुर की घटनाक्रम पर बयान देने के लिए तैयार हैं लेकिन विपक्ष राजनीतिक वजहों से गतिरोध और हंगामा कर रहा है. इस बार भी इतिहास दोहराया जायेगा.
अब सबकी निगाहें गैर-एनडीए और गैर-इंडिया दलों पर हैं. बीजू जनता दल और YSR कांग्रेस पार्टी ने अविश्वास प्रस्ताव पर अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. अब ये देखना महत्वपूर्ण होगा की इनकी जैसी गैर-एनडीए और गैर-इंडिया दलों का अविश्वास प्रस्ताव के दौरान क्या रुख रहता है.
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