नई दिल्ली:
राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस ने हाथ मिला लिया है। यह खबर केंद्र की कांग्रेसनीत यूपीए सरकार के लिए एक बड़ा खतरा है।
समाजवादी पार्टी के सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया है कि एआईएडीएमके के नेताओं से भी इस मुद्दे पर चर्चा की गई है। माना यह भी जा रहा है कि पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को ये दल एक बार फिर राष्ट्रपति पद के लिए अपना प्रत्याशी बना सकते हैं।
पश्चिम बंगाल से समाजवादी पार्टी नेता और राज्यसभा सांसद किरणमय नंदा ने बुधवार को राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर एक राय बनाने की कोशिश की।
गौरतलब है कि 24 मई पद के नामांकन करने की अंतिम तिथि है और इस वर्ष जून में वर्तमान राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का कार्यकाल समाप्त हो रहा है।
बदलते समीकरण कांग्रेस पार्टी के लिए समस्या का सबब बन सकते हैं क्योंकि पार्टी के पास राष्ट्रपति के चुनाव के एलेक्ट्रल कॉलेज में मात्र 31 फीसदी मत ही हैं। पूरे यूपीए के पास भी 40 फीसदी मत ही है। वहीं भाजपा के पास मात्र 24 फीसदी मत हैं तो एनडीए के पास कुल मिलाकर 30 फीसदी मत ही हैं।
यूपी चुनाव में जीत के बाद समाजवादी पार्टी के पास अब मतों की काफी संख्या हो गई है। तृणमूल के साथ मिलकर सपा राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के चुनाव में काफी अहम भूमिका निभा सकती है। कहा जा रहा है कि सपा ने संभावित उम्मीदवारों की एक सूची भी तैयार कर ली है।
इस बार के राष्ट्रपति पद के चुनाव में प्रांतीय दलों की अहम भूमिका रहने के उम्मीद जताई जाने लगी है। इन दलों में सपा, तृणमूल, एआईएडीएमके, बीएसपी और आरजेडी तक शामिल हैं।
समाजवादी पार्टी के सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया है कि एआईएडीएमके के नेताओं से भी इस मुद्दे पर चर्चा की गई है। माना यह भी जा रहा है कि पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को ये दल एक बार फिर राष्ट्रपति पद के लिए अपना प्रत्याशी बना सकते हैं।
पश्चिम बंगाल से समाजवादी पार्टी नेता और राज्यसभा सांसद किरणमय नंदा ने बुधवार को राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर एक राय बनाने की कोशिश की।
गौरतलब है कि 24 मई पद के नामांकन करने की अंतिम तिथि है और इस वर्ष जून में वर्तमान राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का कार्यकाल समाप्त हो रहा है।
बदलते समीकरण कांग्रेस पार्टी के लिए समस्या का सबब बन सकते हैं क्योंकि पार्टी के पास राष्ट्रपति के चुनाव के एलेक्ट्रल कॉलेज में मात्र 31 फीसदी मत ही हैं। पूरे यूपीए के पास भी 40 फीसदी मत ही है। वहीं भाजपा के पास मात्र 24 फीसदी मत हैं तो एनडीए के पास कुल मिलाकर 30 फीसदी मत ही हैं।
यूपी चुनाव में जीत के बाद समाजवादी पार्टी के पास अब मतों की काफी संख्या हो गई है। तृणमूल के साथ मिलकर सपा राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के चुनाव में काफी अहम भूमिका निभा सकती है। कहा जा रहा है कि सपा ने संभावित उम्मीदवारों की एक सूची भी तैयार कर ली है।
इस बार के राष्ट्रपति पद के चुनाव में प्रांतीय दलों की अहम भूमिका रहने के उम्मीद जताई जाने लगी है। इन दलों में सपा, तृणमूल, एआईएडीएमके, बीएसपी और आरजेडी तक शामिल हैं।
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