सोहराबुद्दीन केस (Sohrabuddin Murder Case) में गवाहों ने खुद को फंसाए जाने का आरोप लगाया है.
मुंबई:
सोहराबुद्दीन और तुलसी प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामले में गवाहों के बयान खत्म होने के बाद अब आरोपी पुलिसकर्मियों का बयान दर्ज किया जा रहा है. सोमवार को गुजरात के पुलिस इंस्पेक्टर एनएच डाबी का बयान दर्ज हुआ था. मंगलवार को 6 पुलिस वालों के बयान दर्ज हुए, जबकि सातवें आरोपी का बयान बुधवार को दर्ज होगा. खास बात यह है कि सभी आरोपियों ने खुद को निर्दोष बताया है और इस पूरे मामले को पुलिस-पॉलिटिकल झगड़े का नतीजा बताया है. मामले में अब कुल 22 आरोपी ही बचे हैं. अदालत में सभी को तकरीबन 400 सवालों का सेट दिया गया था. जिनका उन्हें हां या ना और विस्तार से जवाब देना था. मंगलवार को राजस्थान पुलिस के आरोपी उप निरीक्षक हिमान्शु सिंह राजावत और श्याम सिंह का बयान दर्ज हुआ. साथ ही गुजरात पुलिस के डीएसपी एमएल परमार, डिप्टी एसपी बालकृष्ण चौबे, सिपाही अजय परमार और शांता शर्मा का भी बयान दर्ज हुआ. वहीं राजस्थान में कार्यरत आरोपी पुलिसकर्मी अब्दुल रहमान का बयान बुधवार को भी जारी रहेगा.
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अपने बयान में आरोपियों ने खुद को फंसाए जाने का आरोप लगाया. राजस्थान के पुलिस उपनिरीक्षक हिमांशु सिंह राजावत पर आरोप है कि उसने सोहराबुद्दीन पर गोली चलाई थी, लेकिन हिमांशु ने कोर्ट में दावा किया कि वह निर्दोष हैं और उस समय की राजनीतिक परिस्थिति के शिकार हुए. गुजरात एटीएस के इंस्पेक्टर बालकृष्ण चौबे ने भी दावा कि वे उस ऑपेरशन का हिस्सा ही नहीं थे, बल्कि डेप्यूटेश पर यूनिट इंस्पेक्टर के मातहत कार्यरत थे. चौबे ने खुद को बड़े पुलिस अधिकारियों की राजनीति का शिकार बताया है. इसी तरह आरोपी पुलिसकर्मी अब्दुल रहमान ने भी खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि मैंने मुठभेड़ में हिस्सा नही लिया था और उस दौरान अहमदाबाद भी नहीं गया था. कोर्ट में एक और आरोपी राजेन्द्र भाई जीरावला का भी बयान दर्ज हुआ. राजेन्द्र के ऊपर आरोप है कि उसने सोहराबुद्दीन की पत्नी कौसर बी को अपने फॉर्म हाउस में अवैध रूप से रखा था. राजेन्द्र ने भी कोर्ट के सामने खुद बेकसूर बताया है.
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