मुबंई की सीबीआई कोर्ट ने सोहराबुद्दीन एनकाउंटर ट्रायल की रिपोर्टिंग पर लगाई रोक (फाइल फोटो)
मुंबई:
सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति कथित फर्जी मुठभेड़ मामलों की सुनवाई कर रही मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने मीडिया को अदालती कार्यवाही की रिपोर्टिंग करने से अगले आदेश तक रोक दी है.
CBI की कार्यशैली पर कोर्ट ने खड़े किए सवाल, 'सोहराबुद्दीन मामले में निचली अदालत के आदेश को चुनौती क्यों नहीं दी गई?'
दरअसल, बचाव पक्ष के वकील ने एक अर्जी दी थी जिसके बाद अदालत का यह आदेश आया. बचाव पक्ष के वकीलों ने सुरक्षा मुद्दों को उठाते हुए एक जज की मौत के बारे में मीडिया में आई एक खबर का जिक्र किया. यह जज इस मामले से जुड़े थे. बचाव पक्ष के वकीलों ने कहा कि गलत रिपोर्टिंग ने दोनों ओर पूर्वधारणा बनाई है. उन्होंने कहा कि यह एक संवेदनशील मामला है और यदि रिपोर्ट के प्रकाशन की इजाजत दी गई तो कुछ अप्रिय घटना हो सकती है.
विशेष जज सुनील कुमार जे शर्मा ने कहा कि ऐसा हो सकता है कि रिपोर्ट (खबर) के प्रकाशन से आरोपियों, अभियोजन के गवाहों, बचाव पक्ष की टीम और अभियोजन को सुरक्षा की समस्या पैदा हो जाए. इसलिए वह बचाव पक्ष के वकीलों के अनुरोध को उचित पाते हैं. जज ने कहा कि विषय की संवदेनशीलता को देखते हुए कुछ अप्रिय घटना होने की आशंका है जिससे मुकदमा प्रभावित हो सकता है.
VIDEO: फर्जी एनकाउंटर मामले में अमित शाह को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत
वहीं, पत्रकारों ने बचाव पक्ष की इस दलील पर ऐतराज जताते हुए कहा कि कार्यवाही की रिपोर्टिंग सही उद्देश्यों को लेकर है ताकि लोग मामले की प्रगति जान सकें. गौरतलब है कि जज ने अदालत में मौजूद पत्रकारों को भी अपना पक्ष रखने की इजाजत दी थी.
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दरअसल, बचाव पक्ष के वकील ने एक अर्जी दी थी जिसके बाद अदालत का यह आदेश आया. बचाव पक्ष के वकीलों ने सुरक्षा मुद्दों को उठाते हुए एक जज की मौत के बारे में मीडिया में आई एक खबर का जिक्र किया. यह जज इस मामले से जुड़े थे. बचाव पक्ष के वकीलों ने कहा कि गलत रिपोर्टिंग ने दोनों ओर पूर्वधारणा बनाई है. उन्होंने कहा कि यह एक संवेदनशील मामला है और यदि रिपोर्ट के प्रकाशन की इजाजत दी गई तो कुछ अप्रिय घटना हो सकती है.
विशेष जज सुनील कुमार जे शर्मा ने कहा कि ऐसा हो सकता है कि रिपोर्ट (खबर) के प्रकाशन से आरोपियों, अभियोजन के गवाहों, बचाव पक्ष की टीम और अभियोजन को सुरक्षा की समस्या पैदा हो जाए. इसलिए वह बचाव पक्ष के वकीलों के अनुरोध को उचित पाते हैं. जज ने कहा कि विषय की संवदेनशीलता को देखते हुए कुछ अप्रिय घटना होने की आशंका है जिससे मुकदमा प्रभावित हो सकता है.
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वहीं, पत्रकारों ने बचाव पक्ष की इस दलील पर ऐतराज जताते हुए कहा कि कार्यवाही की रिपोर्टिंग सही उद्देश्यों को लेकर है ताकि लोग मामले की प्रगति जान सकें. गौरतलब है कि जज ने अदालत में मौजूद पत्रकारों को भी अपना पक्ष रखने की इजाजत दी थी.
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