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This Article is From Jun 10, 2018

बहुमत नहीं मिला तो संघ प्रणब मुखर्जी का नाम पीएम पद के लिये कर सकता है आगे : शिवसेना

7 जून को नागपुर स्थित आरएसएस के मुख्यालय में आयोजित संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में डॉ. प्रणब मुखर्जी ने मुख्य अतिथि के तौर पर हिस्सा लिया था.

बहुमत नहीं मिला तो संघ प्रणब मुखर्जी का नाम पीएम पद के लिये कर सकता है आगे : शिवसेना
7 जून को आयोजित संघ के कार्यक्रम में हिस्सा लेने गये थे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. प्रणब मुखर्जी
नई दिल्ली: शिवसेना नेता संजय राउत  ने एक बड़ा राजनीतिक बयान दे दिया है.  राउत ने कहा है कि ऐसा लगता है कि संघ प्रणब मुखर्जी को पीएम उम्मीदवार के तौर पर घोषित करने की तैयारी कर रहा है. शिवसेना नेता ने कहा है कि अगर 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पर्याप्त सीटें नहीं आती हैं तो बीजपी की ओर से प्रणब मुखर्जी की पीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया जा सकता है .ऐसा लगता है कि संघ खुद को इस स्थिति के लिये तैयार कर रहा है. गौरतलब है कि 7 जून को नागपुर स्थित आरएसएस के मुख्यालय में आयोजित संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में डॉ. प्रणब मुखर्जी ने मुख्य अतिथि के तौर पर हिस्सा लिया था. उनके इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के फैसले पर उनकी बेटी और कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी सहित पार्टी के कई नेताओं ने विरोध किया था. कांग्रेस के कई नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति से अपना फैसल बदलने के लिये कहा था. 

 
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वहीं कार्यक्रम में हिस्सा लेने गये प्रणब मुखर्जी ने संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार को श्रद्धांजलि दी और विजिटर डायरी में उनको भारत माता का सच्चा सपूत बताया. दरअसल कांग्रेस के लिये दिक्कत यहीं से शुरू हो गई क्योंकि पार्टी हमेशा से वैचारिक तौर पर संघ का विरोध करती रही है और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हमेशा ही आरएसएस को सांप्रदायिक संगठन बताते रहते हैं. 

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वहीं बीजेपी की ओर से प्रणब मुखर्जी के इस फैसले का स्वागत किया गया और इसे लोकतंत्र में संवाद का हिस्सा बताया. पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि प्रणब मुखर्जी का आरएसएस के मुख्यालय में जाना एक ऐतिहासिक घटना है. आरएसएस के आजीवन स्वयंसेवक आडवाणी ने कहा कि उनका मानना है कि प्रणब मुखर्जी और भागवत ने विचारधाराओं एवं मतभेदों से परे संवाद का सही अर्थो में सराहनीय उदाहरण पेश किया है. उन्होंने कहा कि दोनों ने भारत में एकता के महत्व को रेखांकित किया जो बहुलतावाद समेत सभी तरह की विविधता को स्वीकार एवं सम्मान करती है. 

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