शिलॉन्‍ग में हिंसा के बाद तनाव अब भी बरकरार, प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों पर फेंका पेट्रोल बम

शिलॉन्ग में शुक्रवार की हिंसा के बाद से तनाव अब भी बरकरार है. रविवार रात को प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों पर पेट्रोल बम फेंका.

शिलॉन्‍ग में हिंसा के बाद तनाव अब भी बरकरार, प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों पर फेंका पेट्रोल बम

शिलॉन्ग हिंसा: रविवार रात को प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों पर पेट्रोल बम फेंका

खास बातें

  • शिलॉन्ग में शुक्रवार की हिंसा के बाद से तनाव अब भी बरकरार है.
  • रविवार रात को प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों पर पेट्रोल बम फेंका
  • प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले भी छोड़ने पड़े
नई दिल्ली:

शिलॉन्ग में शुक्रवार की हिंसा के बाद से तनाव अब भी बरकरार है. रविवार रात को प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों पर पेट्रोल बम फेंका. प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले भी छोड़ने पड़े. यहां दो गुटों में हुई हिंसक झड़प के बाद से ही कर्फ़्यू लगा दिया गया था, जिसमें रविवार को कुछ देर ढील दी गई थी. लेकिन पेट्रोल बम फेंके जाने की घटना से एक बार फिर हालात तनावपूर्ण हो गए हैं.

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इस पूरे मामले में मुख्यमत्री कोनरैड संगमा ने कहा है कि शुक्रवार को हुई हिंसक झड़प के पीछे एक सोची समझी साज़िश है. हालांकि इस हिंसा के बीच एक बार फिर बरसों पुराना वो संघर्ष सामने आ गया है जो यहां के मूल आदिवासियों और प्रवासियों के बीच जमीन को लेकर रहा है.

मेघालय की राजधानी शिलांग में दो समुदायों के बीच तीन दिन पहले शुरू हुई झड़प के बाद शांति तो है लेकिन तनाव भी बना हुआ है. मुख्यमत्री कोनरैड संगमा का दावा है कि इस झड़प के पीछे एक सोची समझी साजिश है, लेकिन इस मामले से एक बार फिर बरसों पुराना वो संघर्ष सामने आ गया है जो यहां के मूल आदिवासियों और प्रवासियों के बीच ज़मीन को लेकर रहा है.

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34 साल की संजना शिलॉन्ग में ही पली बढ़ी हैं. उनके पुरखे ब्रिटिश राज में पंजाब से यहां लाए गए थे. तब से ही वो शिलॉन्‍ग की पंजाबी लाइन में रहते हैं. ये प्रवासियों की कॉलोनी है जो हाल की झड़प के दौरान निशाने पर रही. शनिवार रात क़रीब दो सौ प्रवासी जिनमें ज़्यादातर पंजाबी थे, इस कॉलोनी से भाग गए और करीब ही सेना की छावनी में उन्होंने शरण ली. 

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दिल्ली से शिरोमणि अकाली दल की एक टीम रविवार को पंजाबी लाइन पहुंची. उन्होंने प्रवासियों को धैर्य बंधाया और शांति बनाए रखने को कहा है. दरअसल स्थानीय खासी समुदाय हमेशा से ही यहां सरकारी ज़मीन पर पंजाबियों के रहने का विरोध करता रहा है और उन्हें कहीं और जाने की मांग करता रहा है. गुरुवार को हुए संघर्ष के बाद लंबे समय से चल रहा ये तनाव सतह पर आ गया.

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