
- शशि थरूर ने ढाका विश्वविद्यालय चुनावों में जमात-ए-इस्लामी की जीत को भविष्य के लिए चिंताजनक बताया.
- साथ ही थरूर ने बांग्लादेश की प्रमुख पार्टियों अवामी लीग और नेशनल पार्टी के प्रति निराशा बढ़ने का जिक्र किया.
- ढाका विश्वविद्यालय के चुनावों में जमात-ए-इस्लामी समर्थित उम्मीदवारों ने 15 पदों में से 9 पर जीत दर्ज की.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने गुरुवार को ढाका विश्वविद्यालय चुनावों में जमात-ए-इस्लामी की स्टूडेंट विंग की जीत को "आने वाले समय का एक चिंताजनक संकेत" बताया है. थरूर ने एक एक्स पोस्ट में कहा कि बांग्लादेश में दोनों प्रमुख पार्टियों, (अब प्रतिबंधित) अवामी लीग और बांग्लादेश नेशनल पार्टी के प्रति निराशा की भावना बढ़ रही है. साथ ही सवाल किया कि बांग्लादेश में होने वाले फरवरी 2026 के आम चुनावों में इसका क्या असर होगा?
शशि थरूर ने एक एक्स पोस्ट में एक अखबार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा, "ज्यादातर भारतीयों के जेहन में यह बात शायद एक छोटी सी बात के तौर पर दर्ज हुई हो, लेकिन यह आने वाले समय का एक चिंताजनक संकेत है. बांग्लादेश में दोनों प्रमुख पार्टियों—(अब प्रतिबंधित) अवामी लीग और बांग्लादेश नेशनल पार्टी के प्रति निराशा बढ़ती जा रही है.
This may have registered as barely a blip on most Indian minds, but it is a worrying portent of things to come. There is an increasing sense of frustration in Bangladesh with both major parties — the (now banned) Awami League and the Bangladesh National Party. Those who wish “a… pic.twitter.com/RkV3gvF1Jf
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) September 11, 2025
2026 के आम चुनावों में इसका क्या असर होगा?: थरूर
साथ ही थरूर ने कहा, "जो लोग "दोनों घरों पर विपत्ति" की कामना कर रहे हैं, वे तेजी से जमात-ए-इस्लामी की ओर रुख कर रहे हैं, इसलिए नहीं कि ये मतदाता कट्टरपंथी या इस्लामी कट्टरपंथी हैं, बल्कि इसलिए कि जमात-ए-इस्लामी पर इन दोनों मुख्यधारा की पार्टियों से जुड़े, सही या गलत, भ्रष्टाचार और कुशासन का कोई दाग नहीं है. फरवरी 2026 के आम चुनावों में इसका क्या असर होगा? क्या नई दिल्ली को अपने पड़ोसी जमात बहुल क्षेत्र से निपटना होगा?"
जमात-ए-इस्लामी की स्टूडेंट विंग की इन पदों पर जीत
बांग्लादेशी समाचार आउटलेट प्रोथोम अलो ने बताया कि ओइकोबोधो शिक्खार्थी जोटे (यूनाइटेड स्टूडेंट अलॉयंस) के बैनर तले इस्लामी छात्र शिबिर द्वारा समर्थित उम्मीदवारों ने उपाध्यक्ष (वीपी), महासचिव (जीएस) और सहायक महासचिव (एजीएस) सहित 15 प्रमुख पदों में से नौ पर जीत हासिल की है.
वीपी पद के लिए शिबिर नेता अबू शादिक कायम ने 14,042 मतों से जीत हासिल की. उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी, बीएनपी के छात्र विंग के नेता अबिदुल इस्लाम खान को 5,708 वोट मिले.
निर्दलीय उम्मीदवार शमीम हुसैन को 3,883 वोट मिले, जबकि स्वतंत्र छात्र एकता पैनल की उमामा फातिमा को 3,389 वोट मिले.
एंटी डिस्क्रिमिनेशन स्टूडेंट यूनियन के अब्दुल कादर को 1,103 वोट मिले और रेजिस्टेंस काउंसिल की तस्नीम अफरोज एमी को केवल 68 वोट मिले.
शिबिर पिछले साल सितंबर में रूप से फिर से उभरी
अखबार के अनुसार, अवामी लीग के 15 वर्षों से अधिक के शासन के दौरान शिबिर ढाका विश्वविद्यालय परिसर में खुले तौर पर काम नहीं कर पा रहा था और संदिग्ध कार्यकर्ताओं पर अक्सर आवासीय हॉल में हमले होते थे.
जुलाई में अवामी लीग सरकार के पतन के बाद शिबिर पिछले साल सितंबर में सार्वजनिक रूप से फिर से उभरी. फिर से उभरने के सिर्फ एक साल के भीतर इसने अब डीयूसीएसयू चुनावों में व्यापक जीत हासिल कर ली है.
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