शरद पवार (फाइल फोटो)
मुंबई:
गोमांस पर लगे प्रतिबंध और दादरी में पीट-पीटकर हत्या करने की घटना की पृष्ठभूमि में राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि हिन्दुत्व के विचारक विनायक दामोदर सावरकर गाय को पवित्र पशु नहीं मानते थे।
सावरकर का विचार
पवार ने कहा, हिन्दुत्व पर सावरकर के विचारों को कुछ ऐसे लोगों ने अपनी सुविधा के अनुसार अपना लिया है, जिन्होंने अपने सोचने के दायरे को संकुचित कर लिया है। सावरकर ने कहा कि गाय उपयोगी पशु है, उसका उपयोग ना रहने पर उसे मारा और उसका मांस खाया जा सकता है। (उन लोगों द्वारा जो अन्य मामलों में उनकी कसम खाते हैं।) इस विचार का स्वागत नहीं किया गया डॉक्टर दीपक कोर्डे की पुस्तक ‘‘जातिवादी राजकर्नाचा अनिवार्यता’’ के विमोचन के अवसर पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने यह बात कही।
दादरी घटना पर आरएसएस का लेख
पवार ने दादरी घटना, जहां गोमांस खाने की अफवाह के कारण एक व्यक्ति की भीड़ ने हत्या कर दी थी, और इस मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुखपत्र में प्रकाशित लेख की आलोचना की। उन्होंने कहा, यह बहुत चिंताजनक है कि एक ऐसा तबका उभर आया है जो लोगों के खाने की पसंद तय करता है। यह तबका उनके हुकुम को ना मानने वालों को सजा देने का अधिकार भी अपने पास रखता है। उन्होंने कहा कि चरमपंथी संगठनों द्वारा युवाओं को दिग्भ्रमित किया जाना बंद होना चाहिए।
सावरकर का विचार
पवार ने कहा, हिन्दुत्व पर सावरकर के विचारों को कुछ ऐसे लोगों ने अपनी सुविधा के अनुसार अपना लिया है, जिन्होंने अपने सोचने के दायरे को संकुचित कर लिया है। सावरकर ने कहा कि गाय उपयोगी पशु है, उसका उपयोग ना रहने पर उसे मारा और उसका मांस खाया जा सकता है। (उन लोगों द्वारा जो अन्य मामलों में उनकी कसम खाते हैं।) इस विचार का स्वागत नहीं किया गया डॉक्टर दीपक कोर्डे की पुस्तक ‘‘जातिवादी राजकर्नाचा अनिवार्यता’’ के विमोचन के अवसर पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने यह बात कही।
दादरी घटना पर आरएसएस का लेख
पवार ने दादरी घटना, जहां गोमांस खाने की अफवाह के कारण एक व्यक्ति की भीड़ ने हत्या कर दी थी, और इस मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुखपत्र में प्रकाशित लेख की आलोचना की। उन्होंने कहा, यह बहुत चिंताजनक है कि एक ऐसा तबका उभर आया है जो लोगों के खाने की पसंद तय करता है। यह तबका उनके हुकुम को ना मानने वालों को सजा देने का अधिकार भी अपने पास रखता है। उन्होंने कहा कि चरमपंथी संगठनों द्वारा युवाओं को दिग्भ्रमित किया जाना बंद होना चाहिए।
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