नए संसद भवन के आकार की तुलना ताबूत से करने वाले एक ट्वीट को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आज राष्ट्रीय जनता दल (RJD) पर निशाना साधते हुए कहा कि यह ट्विटर पोस्ट करने वालों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए.
राज्यसभा सांसद और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने समाचार एजेंसी ANI से कहा, "इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है...? उनके पास दिमाग नहीं है... यह नया संसद भवन जनता के पैसे से बनाया गया है... सभी दलों के प्रतिनिधि, अगर इस वक्त उन्होंने उद्घाटन का बहिष्कार किया है, तो भी वहां संसद की कार्यवाही में भाग लेंगे... क्या RJD ने स्थायी रूप से संसद का बहिष्कार करने का फैसला किया है...? क्या उनके सांसद लोकसभा और राज्यसभा से इस्तीफा दे देंगे...?"
सुशील मोदी ने कहा, "उन्होंने एक ताबूत की तस्वीर का इस्तेमाल किया... इससे अधिक अपमानजनक क्या हो सकता है...? यह राजनीतिक दल की ओछी मानसिकता को दर्शाता है... यह एक शुभ दिन है, देश के लिए गर्व का दिन है, जब नई संसद राष्ट्र को समर्पित की जा रही है... और फिर उसकी तुलना ताबूत से की जा रही है... यही फोटो उन्होंने ट्वीट की है... ऐसे लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज होना चाहिए..."
BJP प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा, "देश की जनता आपको 2024 में इसी ताबूत में दफ़ना देगी और आपको लोकतंत्र के नए मंदिर में प्रवेश का अवसर नहीं देगी... यह तय है कि संसद भवन देश का है और ताबूत आपका..."
RJD के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से की गई पोस्ट की व्याख्या करते हुए पार्टी नेता शक्ति सिंह यादव ने कहा, "हमारे ट्वीट में ताबूत लोकतंत्र को दफ़न किए जाने का प्रतिनिधित्व कर रहा है... संसद लोकतंत्र का मंदिर है, संवाद का स्थान है, लेकिन उसे अलग ही दिशा में ले जाना चाहते हैं... देश इसे स्वीकार नहीं करेगा... यह संविधान और परम्परा का उल्लंघन... संविधान के अनुसार राष्ट्रपति संसद के लिए सर्वोपरि होता है... हम प्रधानमंत्री से आग्रह करते हैं कि लोकतंत्र को ताबूत में डालें..."
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली RJD उन 20 राजनीतिक दलों में शामिल है, जिन्होंने नई संसद के भव्य उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया है, और सवाल किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए भवन का उद्घाटन क्यों कर रहे हैं.
इन दलों ने एक बयान में कहा था, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय न केवल लोकतंत्र का घोर अपमान है, बल्कि सीधा हमला है... यह अशोभनीय कृत्य राष्ट्रपति कार्यालय का अपमान करता है और संविधान का उल्लंघन करता है... यह समावेश की उस भावना का अपमान करता है, जिसके तहत देश ने अपनी पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति के पदस्थापित होने का जश्न मनाया था..."
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