
ज़ाकिर नाइक (फाइल फोटो)
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NIA ने आतंकवाद विरोधी कानून और IPC की धारा 153A के तहत मामला दर्ज किया
डॉ ज़ाकिर नाइक की मुसीबतें बांग्लादेश में आतंकी हमले के बाद शुरू हुई थी
ज़ाकिर नाइक विदेश में, वापस भारत लौटकर नहीं आए

इससे पहले गुरुवार 17 नवम्बर की रात डोंगरी में IRF के दफ्तर के बाहर पाबंदी का नोटिस चिपका दिया गया था. नोटिस में ज़ाकिर नाइक और उनसे जुड़े जो भी मामले दर्ज हैं उन सभी की जानकारी दी गई है. संस्था के बाहर लगाए गए नोटिस में साफ़ तौर पर लिखा गया है कि डॉक्टर ज़ाकिर नाइक अपने अनुयायियों को विभिन्न धार्मिक समुदायों और समूह के बीच धर्म के आधार पर शत्रुता, घृणा और वैमनस्य की भावना बढ़ने और बढ़ाने का प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करते रहे हैं.
नोटिस में यह भी लिखा है कि ज़ाकिर नाइक, ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकवादी का समर्थन करते हैं, साथ ही ये घोषणा भी करते हैं कि हर मुसलमान को आतंकी होना चाहिए. आतंकवादी घटना में गिरफ्तार किये गए या ISIS के साथ सहानुभूति रखने वालों के वक्तव्यों से पता चलता है कि सभी ज़ाकिर नाइक के बयानों से प्रेरित है.

नोटिस में लिखा है परिस्थितयों को ध्यान में रखते हुए ये मत है कि IRF को तत्काल प्रभाव से एक गैर विधिपूर्ण संगठन घोषित करना जरूरी है. इसलिएअतः अब विधिविरुद्ध क्रियाकलाप अधिनियम 1967 की अलग अलग धाराओं के तहत केंद्रीय सरकार, इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को विधिविरुद्ध संघ घोषित करती है.
मुंबई में रहने वाले डॉ ज़ाकिर नाइक की मुसीबतें बांग्लादेश में आतंकी हमले के बाद शुरू हुई थी जब आतंकी हमले के एक आरोपी ने खुद को ज़ाकिर नाइक का समर्थक बताया था. उसके बाद से ही केंद्र और राज्य सरकार ज़ाकिर नाइक और उनकी संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के खिलाफ जांच में जुट गईं थी. जब जांच का ऐलान हुआ तब डॉ ज़ाकिर नाइक विदेश में थे और उसके बाद से वापस भारत लौटकर नहीं आए हैं.
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