महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को नौकरी और शिक्षा में आरक्षण के मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जहां उच्चतम न्यायलय ने सरकारी नौकरियों व शैक्षिक संस्थानों में 2020-21 सत्र के लिए आरक्षण पर रोक लगा दी है. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने मामले को विचार के लिए बड़ी बेंच में भेजा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि PG दाखिलों को छेड़ा नहीं जाएगा. चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा कि मामले के लिए बड़ी बेंच का गठन करेंगे जोकि मराठा आरक्षण की वैधता पर विचार करेगी.
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में बॉम्बे उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका में कहा गया है कि सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग (SEBC) अधिनियम, 2018, जो शिक्षा और नौकरियों में मराठा समुदाय को 12% और 13% कोटा प्रदान करता है, इंदिरा साहनी मामले में निर्धारित सिद्धांतों का उल्लंघन करता है जिसके अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50 फीसदी तय कर दी थी.
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27 जून, 2019 को, बॉम्बे हाई कोर्ट की एक पीठ ने अधिनियम की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों के आधार पर महाराष्ट्र राज्य को 16 प्रतिशत आरक्षण को घटाकर 12-13 फीसदी करने का निर्देश दिया. इसने आगे उल्लेख किया कि इंदिरा साहनी के मामले के अनुसार, विशेष परिस्थितियों में राज्य सरकार 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण दे सकती है.
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