गोरक्षा के नाम पर हिंसा और मॉब लिंचिग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए कदम उठाए जाएं. कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को कहा कि वे एक हफ्ते में मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए ब्रॉडकस्ट करें और बताएं कि लिंचिंग से लोग भारी दिक्कत में फंसेंगे. कोर्ट ने कहा कि अगर इस बात का प्रचार किया जाए कि लिंचिंग से लोग परेशानी से फंसेंगे तो इससे लिंचिंग के प्रिवेंशन को उच्च स्तर पर ले जाया जा सकेगा. वहीं इस मामले में याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि 54 पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिला है. दूसरी तरफ, दिल्ली समेत 8 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने मॉब लिंचिंग को लेकर हलफनामा दाखिल नहीं किया.
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सहित दूसरे राज्यों और UT को एक हफ़्ते के भीतर हलफ़नामा दाखिल करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को कहा कि संबंधित राज्यों और UT के मुख्य सचिव को कोर्ट के आदेश की कॉपी भेजे. वहीं याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिला. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि एक चार्ट बनाएं किस राज्य में मुआवजे के लिए क्या स्कीम है ? अब दो हफ्ते बाद सुनवाई होगी. आपको बता दें कि देश भर में गो रक्षा के नाम पर हिंसा के मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को कहा था कि वे मॉब लिंचिंग को लेकर जुलाई में जारी आदेश को लागू करने को लेकर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करें, नहीं होता तो संबंधित राज्यों के गृह सचिव को तलब किया जाएगा.
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इससे पहले 9 राज्यों ने ही अपना जवाब दाखिल किया था. वहीं केंद्र सरकार ने कहा था कि मॉब लिंचिंग को लेकर कानून बनाने के लिए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर का गठन किया जा चुका है और उसकी पहली बैठक भी हो चुकी है. अलवर में रकबर की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार से कहा था कि लापरवाह पुलिस वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई है ये कोर्ट को बताएं. राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि तीन पुलिस वालों का ट्रांसफर किया गया है और एक को निलंबित किया गया है.
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