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This Article is From Jan 30, 2021

POCSO आदेशों को लेकर सुर्खियों में आईं बॉम्बे HC की जज को स्थायी करने की सिफारिश SC कॉलेजियम ने वापस ली : सूत्र

दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की जज जस्टिस गनेदीवाला के फैसलों में से एक पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी. केंद्र ने इस फैसले के खिलाफ अपील की है.

POCSO आदेशों को लेकर सुर्खियों में आईं बॉम्बे HC की जज को स्थायी करने की सिफारिश SC कॉलेजियम ने वापस ली : सूत्र
कोलेजियम ने जस्टिस पुष्पा गनेदीवाला की परमानेंट जज के रूप में पुष्टि को होल्ड पर रखा (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

पोक्सो (POCSO) को लेकर दो फैसलों से विवादों में आईं बॉम्बे हाईकोर्ट की जज जस्टिस पुष्पा गनेदीवाला को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) कॉलेजियम ने फैसला किया है. कोलेजियम ने जस्टिस पुष्पा गनेदीवाला की परमानेंट जज के रूप में पुष्टि को होल्ड पर रखा है. कॉलेजियम ने 20 जनवरी को स्थायी न्यायाधीश के रूप में उनकी पुष्टि की सिफारिश की थी, लेकिन बच्चों के साथ यौन शोषण के दो मामलों में विवादास्पद निर्णयों के बाद, एससी कोलेजियम ने अपनी सिफारिश को वापस लेते हुए अपने फैसले को पलट दिया है. 

सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया, "जस्टिस पुष्पा गनेदीवाला के खिलाफ कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है. उनको एक्सपोज़र की ज़रूरत है और हो सकता है कि जब वह वकील थीं, तो इस प्रकार के मामलों से निपटा नहीं गया. जज को ट्रेनिंग की ज़रूरत है." 

दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की जज जस्टिस गनेदीवाला के फैसलों में से एक पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी. केंद्र ने इस फैसले के खिलाफ अपील की है. इस फैसले में कड़े पोक्सो कानून के तहत एक व्यक्ति को यह कहते हुए राहत दी गई है कि स्किन टू स्किन संपर्क नहीं है इसलिए पोक्सो के तहत धारा नहीं लगाई जा सकती है और यह यौन हमले के समान नहीं है. 

उन्होंने अपने एक अन्य फैसले में एक व्यक्ति को यह कहते हुए राहत दी थी कि पांच साल की नाबालिग का हाथ पकड़ना और उसके सामने पैंट की जिप खोलना पोक्सो के तहत यौन हमले के समान नहीं है बल्कि IPC की धारा 354 के तहत है. 

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