Justice Pushpa Ganediwala
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'नो स्किन टु स्किन कांटेक्ट' वाला आदेश देने वाली हाईकोर्ट जज ने दिया इस्तीफा : रिपोर्ट
- Friday February 11, 2022
- Reported by: भाषा
हाईकोर्ट के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि न्यायाधीश पुष्पा गनेडीवाला अभी बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की अध्यक्षता कर रही थीं, और उन्होंने बृहस्पतिवार को इस्तीफा दे दिया.अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल खत्म होने से एक दिन पहले उन्होंने इस्तीफा दिया.
- ndtv.in
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विवादास्पद फैसला देने वालीं बॉम्बे हाईकोर्ट की जज का कार्यकाल एक वर्ष के लिए बढ़ाया गया
- Saturday February 13, 2021
- Reported by: आशीष भार्गव
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच की जज पुष्पा गनेडीवाला ने अपने 19 जनवरी को पास किए गए आदेश में कहा था कि किसी भी छेड़छाड़ की घटना को यौन शोषण की श्रेणी में रखने के लिए घटना में 'यौन इरादे से किया गया स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट' होना चाहिए.
- ndtv.in
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POCSO आदेशों को लेकर सुर्खियों में आईं बॉम्बे HC की जज को स्थायी करने की सिफारिश SC कॉलेजियम ने वापस ली : सूत्र
- Saturday January 30, 2021
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: पवन पांडे
दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की जज जस्टिस गनेदीवाला के फैसलों में से एक पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी. केंद्र ने इस फैसले के खिलाफ अपील की है. इस फैसले में कड़े पोक्सो कानून के तहत एक व्यक्ति को यह कहते हुए राहत दी गई है कि स्किन टू स्किन संपर्क नहीं है इसलिए पोक्सो के तहत धारा नहीं लगाई जा सकती है और यह यौन हमले के समान नहीं है.
- ndtv.in
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- Friday February 11, 2022
- Reported by: भाषा
हाईकोर्ट के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि न्यायाधीश पुष्पा गनेडीवाला अभी बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की अध्यक्षता कर रही थीं, और उन्होंने बृहस्पतिवार को इस्तीफा दे दिया.अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल खत्म होने से एक दिन पहले उन्होंने इस्तीफा दिया.
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- Saturday February 13, 2021
- Reported by: आशीष भार्गव
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच की जज पुष्पा गनेडीवाला ने अपने 19 जनवरी को पास किए गए आदेश में कहा था कि किसी भी छेड़छाड़ की घटना को यौन शोषण की श्रेणी में रखने के लिए घटना में 'यौन इरादे से किया गया स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट' होना चाहिए.
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- Saturday January 30, 2021
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: पवन पांडे
दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की जज जस्टिस गनेदीवाला के फैसलों में से एक पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी. केंद्र ने इस फैसले के खिलाफ अपील की है. इस फैसले में कड़े पोक्सो कानून के तहत एक व्यक्ति को यह कहते हुए राहत दी गई है कि स्किन टू स्किन संपर्क नहीं है इसलिए पोक्सो के तहत धारा नहीं लगाई जा सकती है और यह यौन हमले के समान नहीं है.
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