भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और उसके कर्मचारियों को अक्सर आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है. कभी लंच के बाद ऑफिस आना तो कभी डेस्क नींद लेना, जिसका मीम्स सोशल मीडिया पर अक्सर देखने को मिल जाता है. लेकिन हैदराबाद में एसबीआई शाखा के कर्मचारियों ने ऐसा काम किया है, जिसकी खूब तारीफ हो रही है. यहां के सर्तक कर्मचारियों ने एक वरिष्ठ नागरिक को 'डिजिटल अरेस्ट' का शिकार होने से बचाया है.
साइबर ठगों ने स्टेट बैंक के एक 61 वर्षीय एक ग्राहक को निशाना बनाया था. ठगों ने वरिष्ठ नागरिक से कहा कि वह डिजिटल गिरफ्तारी के अधीन है और उसे इसके बारे में किसी को नहीं बताना है. ग्राहक बैंक पहुंचा और बैंक कर्माचारी से कहा कि वह फिक्स्ड डिपॉजिट तोड़कर रकम निकालना चाहता है.
ग्राहक को परेशान देख कर्मचारी को हुआ संदेह
बैंक कर्मचारी सूर्या स्वाति डी ने देखा कि ग्राहक परेशान है. तब उससे पूछा कि मामला क्या है? ग्राहक ने कहा कि उसे व्यक्तिगत कारणों से पैसे निकालने की जरूरत है. लेकिन संदेह होने पर बैंक कर्मचारी ग्राहण को मैनेजर के पास ले गया. शाखा प्रबंधक कुमार गौड़ ने कहा कि ग्राहक ने उन्हें बताया था कि वह संपत्ति खरीदने की योजना बना रहा है. एक बैंक कर्मचारी ने कहा, "जब ग्राहक से पूछा गया कि वह कहां संपत्ति खरीद रहा है, तो उसने कहा कि उसने अभी तक फैसला नहीं किया है.
संदेह होने पर बैंक कर्मचारियों ने ग्राहक को परिवार के किसी सदस्य के साथ घर जाने के लिए कह दिया. साथ ही बैंक ने पैसे ट्रांसफर करने से इनकार कर दिया. शाखा के कर्मचारियों को बुजुर्ग ग्राहक को सतर्क कर दिया. बैंक ने उन्हें साइबर अपराध की रिपोर्ट करने के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन 1930 से जोड़ा.
करीब तीन दिनों की यातना के बाद ग्राहक को यह पता चल गया कि वह ठगी का शिकार होने वाला हैऔर उसने घोटालेबाज का फोन रख दिया. ऐसे में ग्राहक करीब 13 लाख रुपए की ठगी होने से बच गए. बैंक कर्मचारियों ने बताया कि शाखा में जाने के दौरान ग्राहण घोटालेबाज के साथ कॉल पर थे. ठग उन्हें बैंक कर्मचारियों पर भरोसा नहीं करने का अनुरोध कर रहा था.
क्या है डिजिटल अरेस्ट?
डिजिटल अरेस्ट...यह साइबर क्राइम का नयाब तरीका है. साइबर फ्रॉड लोगों को फंसाने के लिए ब्लैकमेलिंग का खेल खेलता है और लोग उसके जाल में फंस जाते हैं. डिजिटल अरेस्ट में साइबर फ्रॉड वीडियो कॉल के जरिए आप पर हावी होता है और आपको घर में ही बंधक बना लेता है. सबसे पहले ठग आपको पुलिस का अधिकारी बनकर वीडियो कॉल करता है. फिर बताया जाता है कि आपका आधार कार्ड, सिम कार्ड, बैंक अकाउंट का उपयोग किसी गैरकानूनी काम के लिए हुआ है. यहां से आपको डराने-धमकाने का 'खेल' शुरु होता है.
यहां दर्ज कराएं शिकायत...
जांच एजेंसी या पुलिस आपको कॉल करके धमकी नहीं देती है. जांच एजेंसी या पुलिस कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई करती है. अगर आपको भी डराने-धमके के लिए इस तरह के कॉल आते हैं तो आप तुरंत इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को दें, या फिर 1930 नेशनल साइबरक्राइम हेल्पलाइन पर कॉल करके शिकायत दर्ज कराएं. साथ ही सोशल मीडिया साइट एक्स पर @cyberdost के माध्यम से भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
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