
- सावन की शिवरात्रि के पावन अवसर पर कांवड़िये भगवा रंग में सजे शिव मंदिरों की ओर जलाभिषेक के लिए बढ़ रहे हैं.
- मन में भोलेनाथ की भक्ति और जलाभिषेक की इच्छा लिए युवा समूह में कांवड़िया मार्ग पर कांवड़ लेकर दौड़ते दिखे.
- हरिद्वार गंगा सभा के सचिव के अनुसार शिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा से शरीर, मन, आत्मा की शुद्धि होती है.
सावन का पावन महीना और शिवरात्रि का शुभ दिन. सड़क पर भगवा रंग में रंगे कांवड़िये. आसमान से रिमझिम फुहाड़ और कमंडल में गंगा की धार. बम-बम भोले की गूंज, घुंघुड़ुओं की मधुर आवाज. रिमझिम बरसती बूंदे ऐसी, जैसे बारिश के देवता देवराज इंद्र भी इस पावन धरती पर मौजूद शिव के ज्योतिर्लिंगों का जलाभिषेक कर रहे हों. मन भोले की भक्ति में सराबोर और हृदय में श्रद्धाभाव. गंगा में स्नान किया, जल भरा और लगा दी दौड़. भोलेनाथ को प्रसन्न करने की प्रबल इच्छा लिए, शिवलिंग पर जलाभिषेक करने की चाह लिए, कांवड़िये शिवमंदिरों की ओर बढ़े जा रहे हैं.

कांवड़िया मार्ग पर भोले की भक्ति
कांवड़िया मार्ग पर जो दृश्य दिख रहे हैं, जो शिवभक्तों का रेला दिख रहा है, वो भोले की भक्ति का प्रमाण नहीं तो और क्या है. कांवड़ियों के बीच अपने भोलेनाथ को प्रसन्न करने, उनका जलाभिषेक करने की जल्दी है. चूंकि भगवान शिव की पूजा के लिए श्रावण मास की शिवरात्रि को बहुत ज्यादा शुभ माना गया है, इसलिए कांवड़िया मार्ग पर कांवड़िये दौड़ लगाते दिख रहे हैं.

कोई शिव की प्रतिमा कंधे पर उठाए दौड़ लगा रहा है. कंधे पर कांवड़ लिए युवा समूह में दौड़ लगा रहे हैं. वाहनों पर भगवा झंडे लगाकर कुछ बाइकसवार कांवड़िये बढ़े जा रहे हैं. पूरा कांवड़िया मार्ग ऐसे दृश्यों से पटा है.

शिवरात्रि पर शिव के अभिषेक का बड़ा महत्व
सावन मास की शिवरात्रि पर शिव के जलाभिषेक और पूजा का विशेष महत्व है. हरिद्वार गंगा सभा के सचिव उज्जवल पंडित के अनुसार आज के दिन शिव की चार प्रहर की पूजा का संबंध आत्मा, शरीर, मन और ब्रह्म से संबंधित है. पहले प्रहर की पूजा से शिव साधक का शरीर शुद्ध होता है. दूसरे प्रहर की पूजा से मन शुद्ध होता है और तीसरे प्रहर की आत्मा से पवित्र होती है. चौथे प्रहर की पूजा से ब्रह्म की सिद्धि होती है.

शिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा से जीवन से जुड़ी व्याधियां दूर होती हैं. समस्त पापों का नाश होता है. कायिक, वाचिक, मानसिक और सांसारिक, ज्ञात-अज्ञात महापाप का नाश होता है. धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. आयु, आरोग्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. अप्राप्त लक्ष्मी प्राप्त होती है और जो लक्ष्मी आपके पास है, वह लंबे समय तक आपके पास बनी रहती है.

कुछेक कांवड़िये 108 पात्रों में गंगाजल भरकर शिव के जलाभिषेक के लिए निकले.
आज दिनभर होगा शिव का जलाभिषेक
उत्तराखंड ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष पंडित रमेश सेमवाल के अनुसार श्रावण मास की शिवरात्रि पर जल चढ़ाने के लिए सबसे शुभ समय सुबह 04:39 बजे था, जबकि इसके बाद पूरे दिन भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाया जा सकता है.

सावन माह में आने वाली मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व (Sawan shivratri Ka Mahatva) होता है, इसलिए आज बहुत सारे शिवभक्त शिवरात्रि का व्रत भी रखते हैं.
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