महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के बाद से लगातार शिवसेना और शिंदे गुट के बीच टकराव जारी है. अब शिवसेना के सांसद संजय राउत ने लोकसभा स्पीकर और लोकसभा महासचिव से मुलाकात की है और शिंदे गुट के 12 सांसदों को अयोग्य करार करने के लिए पत्र दिया है. कुछ दिन पहले ही एकनाथ शिंदे ने चुनाव आयोग को लिखा था कि उद्धव ठाकरे द्वारा नियुक्त शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी (National Executive) भंग कर दी गई है और उन्होंने एक नई कार्यकारिणी का गठन किया है.
गौरतलब है कि बीजेपी की मदद से पहले एकनाथ शिंदे ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की सरकार का तख्तापलट कर दिया और खुद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने और फिर अब पार्टी पर कब्जे को लेकर दोनों आमने-सामने हैं.
एकनाथ शिंदे का दावा है कि शिवसेना के अधिकांश नेताओं का समर्थन उन्हें है. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, शिवसेना की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी बनाना उद्धव ठाकरे को शिवसेना के नेता के रूप में हटाने के लिए यह एकनाथ शिंदे का पहला औपचारिक कदम था.
ये लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में भी चल रही है. सुप्रीम कोर्ट में बगावत से जुड़ी याचिकाओं और महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार द्वारा बगावत के दिनों में लिए गए विभिन्न फैसलों पर सुनवाई चल रही है.
दरअसल, उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की है. याचिका में 'असली' शिवसेना के रूप में मान्यता के लिए एकनाथ शिंदे गुट की याचिका पर चुनाव आयोग की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई है. उद्धव गुट का कहना है कि चुनाव आयोग यह निर्धारित नहीं कर सकता कि बागी विधायकों की अयोग्यता पर फैसला होने तक असली शिवसेना कौन है?
चुनाव आयोग ने शिंदे गुट और उद्धव गुट को शिवसेना के अधिकार के दावे दस्तावेज़ के साथ 8 अगस्त तक दाखिल करने को कहा है. उद्धव गुट ने चुनाव आयोग के इस आदेश को चुनौती दी है. उद्धव गुट चुनाव आयोग के आदेश को असंवैधानिक और जल्दबाज़ी में लिया फैसला करार दे रहा है. ठाकरे ग्रुप के शिवसेना महासचिव सुभाष देसाई ने ये याचिका दायर की है.
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