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This Article is From Oct 15, 2015

'लेखकों के खिलाफ बन रहे माहौल' से नाराज नंद भारद्वाज ने भी लौटाया साहित्य अकादमी सम्मान

'लेखकों के खिलाफ बन रहे माहौल' से नाराज नंद भारद्वाज ने भी लौटाया साहित्य अकादमी सम्मान
नई दिल्ली: देश में बढ़ रहे धार्मिक कट्टरता और लेखक-साहित्यकारों के खिलाफ बन रहे आक्रोश के माहौल का आरोप लगाते हुए एक और साहित्यकार ने अपना साहित्य अकादमी का पुरस्कार लौटा दिया है।

नंद किशोर भरद्वाज ने कहा, 'पहले नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की गई, फिर पानसरे के साथ हुआ, फिर कालबुर्गी को अपने घर पर गोली मार कर हत्या कर दी। भालचंद्र नेमाड के साथ भी कुछ धमकियां मिली और ये सब चिंता का विषय है, अगर साहित्य अकादमी ऐसे हमलों को लेकर अपनी आवाज़ नहीं उठाएगी तो उसके सम्‍मान का कोई मतलब नहीं है, इसलिए मैं सामान लौटा रहा हूं।

साहित्य अकादमी के सचिव को खत लिखा
इस सिलसिले में राजस्थान के लेखक नंद किशोर भारद्वाज ने भी साहित्य अकादमी का पुरस्कार लौटाने का फैसला लिया है। नंद भारद्वाज ने साहित्य अकादमी के सचिव को खत लिखकर पुरस्कार लौटाने की जानकारी भी दे दी है। साथ ही पुरस्कार के साथ मिली 50 हजार रुपये की राशि भी लौटाने का भी ऐलान करते हुए साहित्यकारों की सुरक्षा पर अपनी चिंता जताई है।

भारद्वाज ने पुरस्कार राशि का चेक संलग्न किया
पुरस्कार लौटाने की सूचना देते हुए खत के साथ भारद्वाज ने राशि का चैक संलग्न करके साहित्य अकादमी दिल्ली के दफ्तर को भेज दिया है ऐसा करने वाले नंद भारद्वाज राजस्थान के पहले लेखक हैं।

2004 में राजस्थानी उपन्यास 'सांम्ही खुलतौ मारग' के लिए मिला सम्मान
नंद भारद्वाज को साल 2004 में राजस्थानी उपन्यास 'सांम्ही खुलतौ मारग' के लिए साहित्य अकादमी ने पुरस्कार से नवाजा था। नंद भारद्वाज ने अपने खत में साहित्य अकादमी के पुरस्कार से सम्मानित लेखकों और साहित्यकारों के साथ दुर्व्यवहार, लगातार हो रहे जानलेवा हमले और हत्या की जांच में बरती जा रही ढिलाई की भी जमकर निंदा की है। उन्होंने कहा कि कम से कम साहित्य अकादमी को तो इसकी निंदा करनी चाहिए, लेकिन उसके पदाधिकारी राजनितिक बोल बोल रहे हैं।

सरकार के कुछ मंत्रियों द्वारा पुरस्कार लौटाने को बदनाम करने की साजिश बताए जाने को भी उन्होंने उनकी छोटी सोच का नतीजा बताया।

उल्लेखनीय है कि अब तक 25 से ज्यादा साहित्कारों ने अपना सम्मान लौटाया है। सरकार की ओर से और तमाम जाने-माने लोग साहित्याकारों के इस कार्य के समर्थन और विरोध में बयानबाजी भी देते आ रहे हैं।

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