मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन अब हमारे बीच नहीं रहे. जाकिर हुसैन का फेफड़े से संबंधी ‘इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस' बीमारी के कारण अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में निधन हो गया, वह 73 वर्ष के थे. भारत और विदेश में जाना-माना नाम हुसैन अपने पीछे 60 साल से ज्यादा का संगीत अनुभव छोड़ गए हैं। उन्होंने कुछ महानतम भारतीय और अंतरराष्ट्रीय संगीतकारों के साथ मंच पर तबला बजाया तथा भारतीय शास्त्रीय एवं विश्व संगीत का ‘फ्यूजन' रचा, जिससे तबले को एक नयी पहचान मिली.
जाकिर हुसैन के निधन के बारे में जानकारी मिलते ही मशहूर हस्तियों ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त किया. जाकिर हुसैन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने पोस्ट किया, जाकिर की हड्डियों में लय थी, उनके दिल में अपनी कला के लिए प्यार था और उन्होंने दुनिया भर में लाखों लोगों को खुशी दी. अपनी कला के प्रति समर्पण के लिए उन्हें हमेशा प्यार, गर्व और कृतज्ञता के साथ याद किया जाएगा. उनके निधन से शोक संतप्त सभी लोगों के प्रति गहरी संवेदना और आशीर्वाद.'
महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर दुख प्रकट किया और कहा कि देश ने अपने प्रिय तबलावादक और सांस्कृतिक प्रतीकों में से एक को खो दिया. राधाकृष्णन ने कहा कि हुसैन भारतीय शास्त्रीय संगीत में ऐसा नाम बन गए थे जिन्हें घर-घर में पहचाना जाता है. राज्यपाल ने कहा कि उनके जाने से संगीत की दुनिया में अपूरणीय क्षति हुई है. उन्होंने कहा, 'उनके निधन से भारत, खास तौर पर महाराष्ट्र ने अपने प्रिय तबलावादक और सांस्कृतिक प्रतीकों में से एक को खो दिया है. उस्ताद जाकिर हुसैन का संगीत अमर रहेगा, जो संगीतकारों की पीढ़ियों को कुछ नया करने और उत्कृष्टता के लिए प्रेरित करेगा. मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं.'
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