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This Article is From Nov 13, 2018

सबरीमाला मंदिर फैसले पर पुनर्विचार को सुप्रीम कोर्ट तैयार, 22 जनवरी को खुली अदालत में होगी सुनवाई

28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी थी.

सबरीमाला मंदिर फैसले पर पुनर्विचार को सुप्रीम कोर्ट तैयार, 22 जनवरी को खुली अदालत में होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर की गई सभी 49 याचिकाओं पर 22 जनवरी से सुनवाई की जाएगी।
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सभी 49 याचिकाओं पर 22 जनवरी से सुनवाई की जाएगी.
पीठ पुनर्विचार याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई करेगी.
28 सितंबर को कोर्ट ने मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी थी
नई दिल्‍ली: केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के सुप्रीम कोर्ट के 28 सितंबर के फैसले पर पांच जजों की संविधान पीठ पुनर्विचार करने को तैयार हो गई है. पीठ पुनर्विचार याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट में फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर की गई सभी 49 याचिकाओं पर 22 जनवरी से सुनवाई की जाएगी. 22 जनवरी को पांच जजों की बेंच पहले इस मामले की सुनवाई करेगी, हो सकता है कि इसके बाद इस मामले को सात जजों की बेंच को भेज दिया जाए, क्योंकि पांच जजों की बेंच पहले ही फैसला दे चुकी है, जिस पर पुनर्विचार किया जाएग. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि 28 सितंबर के आदेश पर कोई रोक नहीं लगाई जाएगी. सुप्रीम कोर्ट की पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस इंदू मल्होत्रा शामिल हैं. इससे पहले संविधान पीठ में शामिल चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा रिटायर हो चुके हैं. 

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बता दें,  28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी थी. 4-1 के बहुमत से हुए फैसले में पांच जजों की संविधान पीठ  ने साफ कहा कि हर उम्र वर्ग की महिलाएं अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी. कोर्ट ने 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक की सैकड़ों साल पुरानी परंपरा को असंवैधानिक करार दिया.

लेकिन इसके बाद भी सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश नहीं करने दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फ़ैसले के बाद भी केरल के सबरीमला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को प्रवेश नहीं मिला. पिछले महीने प्रदर्शनकारियों के विरोध की वजह से महिलाएं मंदिर के अंदर नहीं जा सकीं. महिला श्रद्धालुओं को प्रदर्शनकारियों ने डराया, धमकाया और यहां तक कि कुछ जगहों पर महिलाओं को बस से घसीट कर निकाला.

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