विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S Jaishankar) ने शनिवार को वर्चुअली आयोजित तीसरे 'वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन' (Voice of the Global South Summit) में चार विषयों पर जोर दिया. उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों में आर्थिक सुदृढ़ता बढ़ाना; जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संक्रमण; बहुपक्षवाद को पुनर्जीवित करना; और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने के साथ वैश्विक प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए डिजिटल परिवर्तनों को सर्वसुलभ बनाना शामिल है. समिट के विदेश मंत्रियों के सत्र में 'चार्टिंग अ यूनीक पैराडाइम फॉर ग्लोबल साउथ' विषय पर अपने विचार रखते हुए जयशंकर ने कहा कि दुनिया में चल रहे कई संघर्ष और भू-राजनीतिक तनाव 'ग्लोबल साउथ' के देशों को विशेष रूप से प्रभावित कर रहे हैं.
इसके बाद उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के जोखिम, परिवर्तन के रास्तों में आने वाली लागत और संसाधनों तक पहुंच, मौजूदा बहस के तीन बड़े मुद्दे हैं.
चुनौतियों के बावजूद नहीं निकला समाधान : जयशंकर
जयशंकर ने कहा, "हमारी जी-20 अध्यक्षता के दौरान हमने न्यायोचित ऊर्जा परिवर्तनों को रेखांकित करने का प्रयास किया. हमें ग्लोबल साउथ में कम लागत वाले वित्तपोषण और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने की दिशा में एक परिवार के रूप में मिलकर काम करना चाहिए."
बहुपक्षवाद को पुनर्जीवित करने के मुद्दे पर विदेश मंत्री ने स्वीकार किया कि यह एक 'निर्विवाद तथ्य' है कि वैश्विक व्यवस्था के समक्ष गंभीर चुनौतियां होने के बावजूद बहुपक्षीय क्षेत्र से समाधान नहीं निकल पाया.
उन्होंने कहा, "इसका कारण बहुपक्षीय संगठनों का अप्रासंगिक होना और ध्रुवीकरण दोनों है. यहां भी भारत ने सुधारवादी बहुपक्षवाद की वकालत की है और जी-20 के माध्यम से बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार की मांग की है. एक समूह के रूप में हमें अपने मामले पर जोर देने की जरूरत है."
100 से अधिक देशों के नेताओं-प्रतिनिधियों ने लिया भाग
डिजिटल परिवर्तनों को सर्वसुलभ बनाने की बात करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर भारत में वर्तमान में चल रहे परिवर्तन का एक प्रमुख चालक रहा है और इसके कुछ अनुभव ग्लोबल साउथ भागीदारों के लिए दिलचस्प होंगे, जो आपसी डिजिटल एक्सचेंजों से भी लाभान्वित हो सकते हैं.
'एक सतत भविष्य के लिए सशक्त ग्लोबल साउथ' विषय पर आयोजित सम्मेलन में 100 से अधिक देशों के नेताओं और प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
इसकी शुरुआत पीएम मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' के दृष्टिकोण के विस्तार के रूप में हुई, और यह भारत के 'वसुधैव कुटुंबकम' के दर्शन पर आधारित है.
सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या वृद्धि, खाद्य असुरक्षा, वित्तीय ऋण, असमानता और संघर्ष जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई, जो विकासशील देशों को सीधे प्रभावित करते हैं. सम्मेलन में विशेष रूप से सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए ग्लोबल साउथ में चुनौतियों, प्राथमिकताओं और समाधानों पर चर्चा की गई.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं