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डॉ. अंबेडकर को लेकर अमित शाह के बयान पर क्यों छिड़ा सियासी 'संग्राम', समझिए आखिर माजरा क्या है 

भारतीय जनता पार्टी ने अमित शाह के बयान के बयान को लेकर विपक्ष पर हमला बोला है. उसका कहना है कि विपक्ष जानबूझकर अमित शाह के बयान के कुछ अंश को ही काटकर सबको दिखा रही है.ये राजनीति का एक निचला स्तर है.

डॉ. अंबेडकर को लेकर अमित शाह के बयान पर क्यों छिड़ा सियासी 'संग्राम', समझिए आखिर माजरा क्या है 
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर विपक्ष हुआ हमलावर
नई दिल्ली:

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में दिए अपने संबोधन के दौरान डॉ. बीआर अंबेडकर पर एक टिप्पणी की थी. उनकी इस टिप्पणी को लेकर विपक्षी दल और खासकर कांग्रेस अब अमित शाह और केंद्र सरकार पर हमला बोलती दिख रही है. कांग्रेस ने अमित शाह की उस टिप्पणी को लेकर कहा है कि गृहमंत्री पर संविधान निर्माता डॉ.अंबेडकर का अपमान करने का आरोप लगाया है. वहीं, दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने विपक्षी दलों पर केंद्रीय गृहमंत्री के संबोधन के कुछ अंश को काटकर वीडियो प्रसातिर करने का आरोप लगाया है. बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस अब निचले स्तर की राजनीति करती दिख रही है. उधर, संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान बुधवार को संसद में विपक्षी सांसदों ने बीआर अंबेडकर की तस्वीरें लीं और गृहमंत्री से माफी की मांग करते हुए नारे लगाए.

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अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में दिया था बयान

आपको बता दें कि अमित शाह मंगलवार को संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर बहस के दौरान सदन को संबोधित किया था. इस दौरान अमित शाह ने कहा कि बीआर अंबेडकर का नाम लेना अब एक "फैशन" बन गया है. अब यह एक फैशन हो गया है  - अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर. इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता.

'ये तो आज कल फैशन हो गया है'

गृहमंत्री ने आगे कहा था कि डॉ. अंबेडकर का 100 बार और नाम लीजिए, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि उनके बारे में आपकी भावनाएं क्या हैं, वो ज्यादा जरूरी हैं. मैं आपको बता दूं कि जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली सरकार से असहमति के बाद बीआर अंबेडकर को पहले मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था. शाह ने आगे कहा कि अंबेडकर जी ने कई बार कहा है कि वह अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के इलाज से संतुष्ट नहीं हैं. बीआर अंबेडकर भी सरकार की नीति और अनुच्छेद 370 पर उसके रुख से नाखुश थे. वह पद छोड़ना चाहते थे, लेकिन उन्हें आश्वासन दिया गया था और जब आश्वासन पूरा नहीं हुआ तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया.

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कांग्रेस ने किया था पलटवार

बाद में कांग्रेस ने अमित शाह की इस टिप्पणी की तीखी आलोचना की. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बैगर नाम लिए कहा कि मनुस्मृति का पालन करने वाले स्वाभाविक रूप से अंबेडकर से परेशान होंगे. वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि अमित शाह ने बीआर अंबेडकर को लेकर जो कुछ कहा है उसने फिर ये साबित कर दिया है कि भाजपा और आरएसएस "तिरंगे के खिलाफ" थे और "अशोक चक्र का विरोध" करते थे.वे संविधान की जगह मनुस्मृति लागू करना चाहते थे. बाबा साहब अंबेडकर ने ऐसा नहीं होने दिया, इसलिए वे उनसे इतनी नफरत करते हैं. मोदी सरकार के मंत्रियों को समझना चाहिए कि मेरे जैसे करोड़ों लोगों के लिए बाबा साहब भगवान से कम नहीं हैं. वो दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और गरीबों के लिए एक मसीहा हैं. 

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