रोहतक (हरियाणा):
रोहतक के एक इंजीनियरिंग कॉलेज ने 13 कश्मीरी छात्रों को फीस नहीं जमा करने पर परीक्षा में नहीं बैठने दिया।
बताया जा रहा है कि इन छात्रों का दाखिला प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना के तहत 2013 में कराया गया था, लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने फंड न मिलने का हवाला देते हुए छात्रों को निष्कासित कर दिया है।
इस बाबत संपर्क किए जाने पर संस्थान के निदेशक किशोर चावला ने बताया कि कश्मीर घाटी के 23 विद्यार्थियों को बीटेक के लिए कॉलेज में दाखिला मिला था, जिनमें से दस की छात्रवृति मिल गई है, जबकि बाकी 13 की लंबित है।
उन्होंने कहा, 'संस्थान ने विद्यार्थियों को बताया कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से उनकी छात्रवृत्ति की रकम नहीं मिली है।' उन्होंने कहा, 'विद्यार्थियों और प्रबंधन के बीच इस बात की सहमति बनी थी कि विद्यार्थी आगे की पढ़ाई के लिए हर सेमेस्टर अपनी जेब से 20 हजार रुपये देंगे।' उन्होंने कहा कि बाद में वे मुकर गए।
चावला ने कहा, 'मैं उनके साथ अब भी बातचीत के लिए तैयार हूं। हम नहीं चाहते कि धनराशि को लेकर उनका नुकसान हो।'
वहीं प्रेम नगर इलाके में किराए पर कमरे लेकर रह रहे इन विद्यार्थियों ने पिछले दो सालों में बाढ़ से उनके परिवार के तबाह हो जाने की वजह से फीस जमा कराने में असमर्थता जतायी।
इन छात्रों का कहना है कि ये लोग ग़रीब परिवार से हैं और इसीलिए इन्हें छात्रवृत्ति ली थी, लेकिन कॉलेज से निष्कासित किए जाने के बाद अब इनका भविष्य अंधकार में है।
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना सिर्फ़ कश्मीरी छात्रों के लिए है जिसके तहत छात्रों की ट्यूशन फ़ीस,हॉस्टल से लेकर किताबों तक का खर्च सरकार उठाती है।
बताया जा रहा है कि इन छात्रों का दाखिला प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना के तहत 2013 में कराया गया था, लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने फंड न मिलने का हवाला देते हुए छात्रों को निष्कासित कर दिया है।
इस बाबत संपर्क किए जाने पर संस्थान के निदेशक किशोर चावला ने बताया कि कश्मीर घाटी के 23 विद्यार्थियों को बीटेक के लिए कॉलेज में दाखिला मिला था, जिनमें से दस की छात्रवृति मिल गई है, जबकि बाकी 13 की लंबित है।
उन्होंने कहा, 'संस्थान ने विद्यार्थियों को बताया कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से उनकी छात्रवृत्ति की रकम नहीं मिली है।' उन्होंने कहा, 'विद्यार्थियों और प्रबंधन के बीच इस बात की सहमति बनी थी कि विद्यार्थी आगे की पढ़ाई के लिए हर सेमेस्टर अपनी जेब से 20 हजार रुपये देंगे।' उन्होंने कहा कि बाद में वे मुकर गए।
चावला ने कहा, 'मैं उनके साथ अब भी बातचीत के लिए तैयार हूं। हम नहीं चाहते कि धनराशि को लेकर उनका नुकसान हो।'
वहीं प्रेम नगर इलाके में किराए पर कमरे लेकर रह रहे इन विद्यार्थियों ने पिछले दो सालों में बाढ़ से उनके परिवार के तबाह हो जाने की वजह से फीस जमा कराने में असमर्थता जतायी।
इन छात्रों का कहना है कि ये लोग ग़रीब परिवार से हैं और इसीलिए इन्हें छात्रवृत्ति ली थी, लेकिन कॉलेज से निष्कासित किए जाने के बाद अब इनका भविष्य अंधकार में है।
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना सिर्फ़ कश्मीरी छात्रों के लिए है जिसके तहत छात्रों की ट्यूशन फ़ीस,हॉस्टल से लेकर किताबों तक का खर्च सरकार उठाती है।
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