साहित्यकार उदय प्रकाश (तस्वीर : udayprakash@facebook)
नई दिल्ली:
हिंदी साहित्य के चर्चित कथाकार उदय प्रकाश ने प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी सम्मान को लौटाने का फैसला लिया है। मार्मिक कहानी 'मोहनदास' के लिए 2010-11 में उदय प्रकाश को साहित्य अकादमी सम्मान मिला था लेकिन शुक्रवार को उन्होंने यह कहते हुए इस पुरस्कार को वापिस लौटाने का फैसला लिया कि कन्नड़ विद्वान कलबुर्गी की हत्या ने उन्हें काफी हिलाकर रख दिया है।
फेसबुक पर इस निर्णय के बारे में सूचित करते हुए उदय ने लिखा है 'मैं साहित्यकार कलबुर्गी जी की हत्या के विरोध में 'मोहन दास' नामक कृति पर २०१०-११ में प्रदान किये गये साहित्य अकादमी पुरस्कार को विनम्रता लेकिन सुचिंतित दृढ़ता के साथ लौटाता हूँ।'
उदय प्रकाश ने अपनी पोस्ट में लिखा है 'पिछले समय से हमारे देश में लेखकों, कलाकारों, चिंतकों और बौद्धिकों के प्रति जिस तरह का हिंसक, अपमानजनक, अवमानना पूर्ण व्यवहार लगातार हो रहा है, जिसकी ताज़ा कड़ी प्रख्यात लेखक और विचारक तथा साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कन्नड़ साहित्यकार श्री कलबुर्गी की मतांध हिंदुत्ववादी अपराधियों द्वारा की गई कायराना और दहशतनाक हत्या है, उसने मेरे जैसे अकेले लेखक को भीतर से हिला दिया है।'
इसके अलावा उदय ने अपनी पोस्ट में लिखा है 'अब यह चुप रहने का और मुँह सिल कर सुरक्षित कहीं छुप जाने का पल नहीं है। वर्ना ये ख़तरे बढ़ते जायेंगे। मैं साहित्यकार कुलबर्गी जी की हत्या के विरोध में 'मोहन दास' नामक कृति पर २०१०-११ में प्रदान किये गये साहित्य अकादमी पुरस्कार को विनम्रता लेकिन सुचिंतित दृढ़ता के साथ लौटाता हूँ।
अभी गॉंव में हूँ। ७-८ सितंबर तक दिल्ली पहुँचते ही इस संदर्भ में औपचारिक पत्र और राशि भेज दूँगा।'
इस पोस्ट के बाद उदय की कहानियां पढ़ने वाले कई लोगों ने उनसे इस फैसले से जुड़े सवाल किए जिस पर कथाकार ने लिखा कि 'यह दौर हम सब साहित्य-कला प्रेमियों और सामाजिक शांति तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बढ़ते जाते ख़तरों के सामने एक साथ रहने का है।'
बता दें कि मध्यप्रदेश के अनूपपुर में जन्मे उदय प्रकाश की लिखी कई कहानियों और कविताओं ने पाठकों और समीक्षकों की प्रशंसा पाई है। उनकी लिखी कई कहानियां काफी मर्मस्पर्शी मानी जाती हैं जिनमें से कुछ के नाम हैं मैंगोसिल, मोहनदास, तिरिछ, और अंत में प्रार्थना। उनकी कहानी मोहनदास का अंग्रेज़ी समेत कई अन्य भाषाओं में अनुवाद भी किया गया है। उदयप्रकाश की कहानियां जीवन की वह तस्वीर पेश करती हैं जो आपके साथ कुछ करे ना करे आपको बेचैन ज़रूर कर देगी।
कहानियों के अलावा उदय प्रकाश ने टीवी निर्देशन का काम भी किया है।
फेसबुक पर इस निर्णय के बारे में सूचित करते हुए उदय ने लिखा है 'मैं साहित्यकार कलबुर्गी जी की हत्या के विरोध में 'मोहन दास' नामक कृति पर २०१०-११ में प्रदान किये गये साहित्य अकादमी पुरस्कार को विनम्रता लेकिन सुचिंतित दृढ़ता के साथ लौटाता हूँ।'
उदय प्रकाश ने अपनी पोस्ट में लिखा है 'पिछले समय से हमारे देश में लेखकों, कलाकारों, चिंतकों और बौद्धिकों के प्रति जिस तरह का हिंसक, अपमानजनक, अवमानना पूर्ण व्यवहार लगातार हो रहा है, जिसकी ताज़ा कड़ी प्रख्यात लेखक और विचारक तथा साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कन्नड़ साहित्यकार श्री कलबुर्गी की मतांध हिंदुत्ववादी अपराधियों द्वारा की गई कायराना और दहशतनाक हत्या है, उसने मेरे जैसे अकेले लेखक को भीतर से हिला दिया है।'
इसके अलावा उदय ने अपनी पोस्ट में लिखा है 'अब यह चुप रहने का और मुँह सिल कर सुरक्षित कहीं छुप जाने का पल नहीं है। वर्ना ये ख़तरे बढ़ते जायेंगे। मैं साहित्यकार कुलबर्गी जी की हत्या के विरोध में 'मोहन दास' नामक कृति पर २०१०-११ में प्रदान किये गये साहित्य अकादमी पुरस्कार को विनम्रता लेकिन सुचिंतित दृढ़ता के साथ लौटाता हूँ।
अभी गॉंव में हूँ। ७-८ सितंबर तक दिल्ली पहुँचते ही इस संदर्भ में औपचारिक पत्र और राशि भेज दूँगा।'
उदय प्रकाश के फेसबुक पोस्ट का स्क्रीन शॉट
इस पोस्ट के बाद उदय की कहानियां पढ़ने वाले कई लोगों ने उनसे इस फैसले से जुड़े सवाल किए जिस पर कथाकार ने लिखा कि 'यह दौर हम सब साहित्य-कला प्रेमियों और सामाजिक शांति तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बढ़ते जाते ख़तरों के सामने एक साथ रहने का है।'
बता दें कि मध्यप्रदेश के अनूपपुर में जन्मे उदय प्रकाश की लिखी कई कहानियों और कविताओं ने पाठकों और समीक्षकों की प्रशंसा पाई है। उनकी लिखी कई कहानियां काफी मर्मस्पर्शी मानी जाती हैं जिनमें से कुछ के नाम हैं मैंगोसिल, मोहनदास, तिरिछ, और अंत में प्रार्थना। उनकी कहानी मोहनदास का अंग्रेज़ी समेत कई अन्य भाषाओं में अनुवाद भी किया गया है। उदयप्रकाश की कहानियां जीवन की वह तस्वीर पेश करती हैं जो आपके साथ कुछ करे ना करे आपको बेचैन ज़रूर कर देगी।
कहानियों के अलावा उदय प्रकाश ने टीवी निर्देशन का काम भी किया है।
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