वीर चक्र से सम्मानित थे रुस्तम केएस गांधी. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
खिलाड़ी कुमार यानी अक्षय कुमार की बहुचर्चित फिल्म 'रुस्तम' आज बॉक्स ऑफिस पर रिलीज़ हो गई. रिलीज से पहले ही फिल्म को लेकर जो माहौल बना है, जितनी तारीफ हो रही है उससे लग रहा है कि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कारोबार करेगी. हालांकि लगने और होने में फर्क है जो कुछ दिनों बाद ही पता चल पाएगा. फिल्म रिलीज के मौके पर हम बता रहे हैं नौसेना के अधिकारी रुस्तम केएस गांधी की कहानी जिनका गोवा को भारत का हिस्सा बनाने में महत्वपूर्ण योगदान है. (वैसे फिल्म की कहानी केएम नानावती के जीवन पर आधारित बताई जा रही है जिन्होंने अपनी पत्नी के प्रेमी की हत्या कर दी थी. नानावती को ज्यूरी कोर्ट से बरी कर दिया गया था, हालांकि हाईकोर्ट ने बाद में उन्हें दोषी पाया और सजा दी. फिल्म का रिव्यू यहां पढ़ें)
यह फिल्म एक पूर्व नौसेना अधिकारी के जीवन की कुछ घटनाओं को लेकर बनाई गई है. बॉलीवुड की फिल्म में कुछ न कुछ तो मसाला जोड़ा ही जाता है सो इस फिल्म को और आकर्षक बनाने के लिए निर्माता निर्देशक ने वह जरूर किया होगा. लेकिन, हम फिल्म की कहानी से अलग वह वाक्या बताते हैं जब फिल्म के हीरो रुस्तम ने बतौर नौसैनिक अपने कर्तव्य का पालन करते हुए गोवा पर राज कर रहे पुर्तगालियों को भगाने का काम किया था. 1961 में गोवा भारत देश का हिस्सा बना और गोवा के भारत का हिस्सा बनना कोई आम घटना नहीं थी. भारतीय नौसेना ने बाकायदा एक अभियान चलाया और इलाके में मौजूद पुर्तगाली जहाज को चेतावनी के बाद मार गिराया. सभी सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया और गोवा फिर भारत के अधीन आया.
आईएनएस बेतवा के कमांडर थे
1961 के ऑपरेशन विजय यानी गोवा को भारत के अधीन लाने के लिए चलाया गया अभियान, 451 सालों से पुर्तगालियों के शासन की समाप्ति के लिए चलाया गया अभियान. इस समय रुस्तम गांधी नौसेना के जहाज आईएनएस बेतवा के कमांडर थे. इस ऑपरेशन में आईएनएस ब्यास भी लगाया गया था. गोवा के मार्मुगाओ हार्बर पर पुर्तगाली जंगी जहाज खड़ा था. इस जहाज के कप्तान एनटोनियो अरागावो थे और जहाज पर पूरा युद्ध का सामान और अच्छी खासी नौसेना मौजूद थी. पूरी चेतावनी के बाद भी जब पुर्तगाली नौसेना ने हमले बंद नहीं किए तब आईएनएस बेतवा के कमांडर की ओर से हमला किया गया जिसमें पुर्तगाली जंगी जहाज का हथियारों का प्रबंधन अधिकारी घायल हो गया और रेडियो अधिकारी मारा गया. कप्तान अरागावो भी घायल हो गए.
कप्तान के घायल होने के बाद जहाज को आग लगा दी गई और नौसैनिक बंदरगाह पर भाग गए. घायल कप्तान को कार से पणजी के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 19 दिसंबर 1961 को पुर्तगाली नौसैनिकों ने आधिकारिक रूप से आत्मसमर्पण किया, और गोवा आजाद हुआ. इसके बाद आईएनएस बेतवा के कमांडर रुस्तम गांधी और आईएनएस ब्यास के कमांडर ने जाकर कप्तान अरागावो से अस्पताल में जाकर मुलाकात की. क्रिसमस के करीब होने की वजह से उन्हें फूल और चॉकलेट आदि भी भेंट की गई थी.
बता दें कि रुस्तम गांधी को 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में कामयाब नौसैनिक ऑपरेशन के लिए वीर चक्र से सम्मानित किया गया था. उस समय रुस्तम वेस्टर्न कमांड के जंगी जहाज आईएनएस मैसूर के कमांडर थे. 1965 में भी पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में रुस्तम ने आईएनएस खुकरी के जरिए अपना लोहा मनवाया था.
यह फिल्म एक पूर्व नौसेना अधिकारी के जीवन की कुछ घटनाओं को लेकर बनाई गई है. बॉलीवुड की फिल्म में कुछ न कुछ तो मसाला जोड़ा ही जाता है सो इस फिल्म को और आकर्षक बनाने के लिए निर्माता निर्देशक ने वह जरूर किया होगा. लेकिन, हम फिल्म की कहानी से अलग वह वाक्या बताते हैं जब फिल्म के हीरो रुस्तम ने बतौर नौसैनिक अपने कर्तव्य का पालन करते हुए गोवा पर राज कर रहे पुर्तगालियों को भगाने का काम किया था. 1961 में गोवा भारत देश का हिस्सा बना और गोवा के भारत का हिस्सा बनना कोई आम घटना नहीं थी. भारतीय नौसेना ने बाकायदा एक अभियान चलाया और इलाके में मौजूद पुर्तगाली जहाज को चेतावनी के बाद मार गिराया. सभी सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया और गोवा फिर भारत के अधीन आया.
आईएनएस बेतवा के कमांडर थे
1961 के ऑपरेशन विजय यानी गोवा को भारत के अधीन लाने के लिए चलाया गया अभियान, 451 सालों से पुर्तगालियों के शासन की समाप्ति के लिए चलाया गया अभियान. इस समय रुस्तम गांधी नौसेना के जहाज आईएनएस बेतवा के कमांडर थे. इस ऑपरेशन में आईएनएस ब्यास भी लगाया गया था. गोवा के मार्मुगाओ हार्बर पर पुर्तगाली जंगी जहाज खड़ा था. इस जहाज के कप्तान एनटोनियो अरागावो थे और जहाज पर पूरा युद्ध का सामान और अच्छी खासी नौसेना मौजूद थी. पूरी चेतावनी के बाद भी जब पुर्तगाली नौसेना ने हमले बंद नहीं किए तब आईएनएस बेतवा के कमांडर की ओर से हमला किया गया जिसमें पुर्तगाली जंगी जहाज का हथियारों का प्रबंधन अधिकारी घायल हो गया और रेडियो अधिकारी मारा गया. कप्तान अरागावो भी घायल हो गए.
कप्तान के घायल होने के बाद जहाज को आग लगा दी गई और नौसैनिक बंदरगाह पर भाग गए. घायल कप्तान को कार से पणजी के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 19 दिसंबर 1961 को पुर्तगाली नौसैनिकों ने आधिकारिक रूप से आत्मसमर्पण किया, और गोवा आजाद हुआ. इसके बाद आईएनएस बेतवा के कमांडर रुस्तम गांधी और आईएनएस ब्यास के कमांडर ने जाकर कप्तान अरागावो से अस्पताल में जाकर मुलाकात की. क्रिसमस के करीब होने की वजह से उन्हें फूल और चॉकलेट आदि भी भेंट की गई थी.
बता दें कि रुस्तम गांधी को 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में कामयाब नौसैनिक ऑपरेशन के लिए वीर चक्र से सम्मानित किया गया था. उस समय रुस्तम वेस्टर्न कमांड के जंगी जहाज आईएनएस मैसूर के कमांडर थे. 1965 में भी पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में रुस्तम ने आईएनएस खुकरी के जरिए अपना लोहा मनवाया था.
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