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झक सफेद! हिमाचल के जंगलों में दिखा ऐसा बंदर कि वैज्ञानिक भी हैरान, देखिए

इससे पहले भारत में ऐसा दुर्लभ सफेद रीसस मकाक केवल एक बार साल 2022 में असम में देखा गया था. अब हिमाचल के तुंदाह जंगल में इसका दिखना जैव विविधता के लिए एक शुभ संकेत माना जा रहा है.

झक सफेद! हिमाचल के जंगलों में दिखा ऐसा बंदर कि वैज्ञानिक भी हैरान, देखिए
हिमाचल के चंबा में दिखा सफेद बंदर.
  • हिमाचल प्रदेश के तुंदाह जंगल में एक दुर्लभ सफेद बंदर देखा गया है, जो पहली बार प्रदेश में मिला है.
  • वन रक्षक कुशल कुमार ने जंगल में गश्त के दौरान एल्बिनो रीसस मकाक बंदर की पहचान कर उसे कैमरे में कैद किया.
  • यह बंदर एल्बिनिज्म नामक आनुवंशिक स्थिति के कारण सफेद रंग का है, जो मेलेनिन पिगमेंट की कमी से होता है.
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हिमाचल प्रदेश के वन्य जीवन इतिहास में एक नया और सुनहरा पन्ना जुड़ गया है. जिला चंबा के भरमौर स्थित तुंदाह के घने जंगलों में एक बेहद दुर्लभ 'सफेद बंदर' देखा गया. वन विभाग के अनुसार हिमाचल प्रदेश में इस तरह के बंदर के देखे जाने की यह पहली घटना है. जानकारी के मुताबिक, रविवार को तुंदाह रेंज के वन रक्षक कुशल कुमार धुंध से ढके जंगलों में अपनी नियमित गश्त पर थे, तभी उनकी नजर बंदरों के एक झुंड पर पड़ी.

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हिमाचल के जंगल में दिखा सफेद बंदर

अचानक वह ठिठक गए, क्योंकि झुंड में एक मादा बंदर की पीठ पर एक ऐसा बंदर बैठा था, जिसका रंग सामान्य भूरे के बजाय सिर से लेकर पूंछ तक सफेद था. वन रक्षक ने बिना समय गंवाए इस दुर्लभ क्षण को अपने कैमरे में कैद कर लिया. वन्यजीव विशेषज्ञों और स्थानीय वन अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह बंदर की कोई नई या विदेशी प्रजाति नहीं है. यह सामान्य 'रीसस मकाक' ही है, जो 'एल्बिनिज्म' नामक आनुवंशिक स्थिति से ग्रस्त है.

बंदर की ये कौन सी प्रजाति?

इस स्थिति में शरीर में त्वचा, बालों और आंखों को रंग देने वाले पिगमेंट 'मेलेनिन' का निर्माण या तो बहुत कम होता है या बिल्कुल नहीं होता. इसी कारण यह बंदर पूरी तरह सफेद दिखाई दे रहा है.

वन विभाग ने क्षेत्र में बढ़ाई निगरानी

बता दें कि इससे पहले भारत में ऐसा दुर्लभ सफेद रीसस मकाक केवल एक बार साल 2022 में असम में देखा गया था. अब हिमाचल के तुंदाह जंगल में इसका दिखना जैव विविधता के लिए एक शुभ संकेत माना जा रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि जंगल में एल्बिनो जीव का दिखना सदियों में एक बार होने वाली घटना जैसा है. वन विभाग ने अब इस क्षेत्र में निगरानी बढ़ा दी है, ताकि इस दुर्लभ जीव की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

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