अयोध्‍या का राम मंदिर अगले साल 1 जनवरी तक तैयार हो जाएगा : अमित शाह

अमित शाह की घोषणा को अगले आम चुनाव में भाजपा के अभियान में राम मंदिर को फिर से शामिल करने के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है.

नई दिल्ली:

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनावी राज्य त्रिपुरा में एक रैली को संबोधित करते हुये गुरुवार को घोषणा की कि अगले साल देश में होने वाले आम चुनावों से पहले एक जनवरी तक अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा. शाह की घोषणा को अगले आम चुनाव में भाजपा के अभियान में राम मंदिर को फिर से शामिल करने के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है. भगवा पार्टी राम मंदिर का मुद्दा 1990 से उठा रही है, जब भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने के लिये रथयात्रा निकाली थी.

कन्याकुमारी से कश्मीर तक 3,500 किलोमीटर लंबी ‘भारत जोड़ो यात्रा' निकाल रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए शाह ने कहा, ‘‘राहुल बाबा, सबरूम से सुनिये, एक जनवरी 2024 तक भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो जायेगा.''राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव चंपत राय और राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने इस हफ्ते के शुरू में अलग-अलग बयान जारी कर ‘भारत जोड़ो यात्रा' के लिये राहुल गांधी की प्रशंसा की थी. आडवाणी की रथयात्रा को 1990 के दशक में भाजपा के उदय का एक प्रमुख कारक माना जाता है, जो 1984 में राजीव गांधी के आगमन और 1980 के दशक के अंत में मंडल आयोग की सिफारिशों के बाद राजनीतिक रूप से प्रभावित हुई थी.रथ यात्रा के बाद अयोध्या में 16वीं शताब्दी के विवादित ढांचे (मस्जिद) को गिराने के लिये एक आंदोलन की शुरुआत हुयी. इसके बारे में कुछ लोगों का मानना था कि यह एक महल का स्थान था जहां भगवान राम का जन्म हुआ था. इसके परिणामस्वरूप छह दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने विवादित ढांचे को ढहा दिया था.

त्रिपुरा में एक जनसभा को संबोधित करते हुये शाह ने कहा कि कांग्रेस और वामपंथियों ने लंबे समय तक राम मंदिर के मुद्दे को अदालत के अधिकार क्षेत्र में रखा था, जबकि मामले में शीर्ष अदालत के राम मंदिर बनाने की अनुमति के आदेश के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर का शिलान्यास किया.कांग्रेस और माकपा भाजपा शासित इस पूर्वोत्तर राज्य में मुख्य विपक्षी दल हैं, और इस बात की संभावना है कि आगामी विधानसभा चुनाव दोनों दल एक साथ मिल कर लड़ें.दशकों तक चली कानूनी लड़ाई के बाद उच्चतम न्यायालय ने 9 नवंबर 2019 को अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया, जहां छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिरा दिया गया था.प्रधानमंत्री ने पांच अगस्त, 2020 को राम मंदिर के निर्माण के लिये भूमि पूजन किया था.

दक्षिण त्रिपुरा जिले के सबरूम में शाह ने भाजपा की एक रथयात्रा को हरी झंडी दिखायी. इससे पहले उन्होंने उत्तर त्रिपुरा जिले के धर्मनगर में भी एक रथ यात्रा को हरी झंडी दिखायी थी.इन रथ यात्राओं का उद्देश्य प्रदेश में इस साल के शुरू में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार की उपलब्धियों के बारे में जनता को बताना है.केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के हाथों में देश सुरक्षित है.उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीर के पुलवामा में हुये हादसे के दस दिन के भीतर भारतीय सैनिक पाकिस्तान के अंदर गये और सफलता पूर्वक अभियान को अंजाम दिया.''

उल्लेखनीय है कि 14 फरवरी 2019 को पुलवामा जिले में एक आत्मघाती हमलावर ने सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) के काफिले को निशाना बनाया था जिसमें 40 जवान मारे गए थे. भारतीय वायु सेना ने इसके बाद 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में एक आतंकवादी शिविर पर लक्षित हमला कर उसे नेस्तनाबूद कर दिया था. शाह की घोषणा पर टिप्प्णी करते हुये कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इसे 2024 में होने वाले आम चुनाव के आलोक में महज चुनावी नारा करार दिया.

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बरहामपुर के सांसद तथा प्रमुख कांग्रेस नेता चौधरी ने कहा, ‘‘हमारे देश की समस्याओं की परवाह करने के बदले वह (शाह) अगले चुनाव के नारों की घोषणा कर रहे हैं.''पूर्वोत्तर राज्य में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश में लगी तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि भाजपा को मंदिर निर्माण के मद्देनजर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश नहीं करनी चाहिये .पार्टी नेता सौगत राय ने कहा, ‘‘यह अच्छा है कि राम मंदिर अगले साल एक जनवरी तक बनकर तैयार हो जायेगा. लेकिन भारतीय जनता पार्टी और किसी अन्य राजनीतिक दल को इसका श्रेय लेने का दावा नहीं करना चाहिये.''उन्होंने कहा, ‘‘भगवान राम सबके हैं और वह भाजपा की संपत्ति नहीं हैं. यह अदालत का फैसला है जिसने राम मंदिर बनाने का मार्ग प्रशस्त किया, इसलिए भाजपा को इसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश नहीं करनी चाहिये.''माकपा के राज्यसभा सदस्य विकास भट्टाचार्य ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह स्पष्ट है कि भाजपा ‘‘धर्म और राम के नाम पर'' देश के लोगों के बीच विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रही है.