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1 वोट बनाम 19 वोट का 'खेल' : राज्यसभा चुनाव के लिए UP में BJP के पास नंबर नहीं, फिर भी कॉन्फिडेंट क्यों?

यूपी की 10 राज्यसभा सीटों पर कुल 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. पहले समाजवादी पार्टी ने 3 उम्मीदवार उतारे. बीजेपी ने 7 सीटों पर उम्मीदवार उतारे. लेकिन ऐन वक्त पर बीजेपी ने संजय सेठ के तौर पर 8वां कैंडिडेट उतार कर पेंच फंसा दिया.

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नई दिल्ली:

राज्यसभा की 56 में से 41 सीटों पर निर्विरोध चुनाव (Rajya Sabha Elections 2024) हो चुका है. 3 राज्यों की 15 सीटों के लिए मंगलवार (27 फरवरी) को चुनाव होने हैं. इनमें से उत्तर प्रदेश (UP Rajya Sabha Elections) की 10, कर्नाटक की 4 और हिमाचल प्रदेश की 1 सीट के लिए वोटिंग होगी. 27 फरवरी को सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक वोटिंग होगी. इनमें से यूपी की 10 सीटों में एक एक्स्ट्रा कैंडिडेट उतारकर बीजेपी ने सपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. राज्यसभा चुनाव में बीजेपी को जहां 8वें उम्मीदवार को जीताने के लिए 19 वोटों की जरूरत है. वहीं, सपा को अपने तीसरे कैंडिडेट के लिए 1 वोट की दरकार है. जो बीजेपी में क्रॉस वोटिंग से संभव हो सकता है. हालांकि, सपा को अपने अंदर ही क्रॉस वोटिंग का खतरा है. 

यूपी में सपा ने उतारे 3 और बीजेपी ने उतारे 8 उम्मीदवार
यूपी की 10 राज्यसभा सीटों पर कुल 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. पहले समाजवादी पार्टी ने 3 उम्मीदवार उतारे. बीजेपी ने 7 सीटों पर उम्मीदवार उतारे. लेकिन ऐन वक्त पर बीजेपी ने संजय सेठ के तौर पर 8वां कैंडिडेट उतार कर पेंच फंसा दिया. 

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यूपी में कौन-कौन उम्मीदवार?
जया बच्चन, रामजी लाल सुमन और आलोक रंजन समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार हैं. दूसरी ओर, बीजेपी ने आरपीएन सिंह, सुधांशु त्रिवेदी, चौधरी तेजवीर सिंह, साधना सिंह, अमरपाल मौर्य, संगीता बलवंत, नवीन जैन को उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी ने आठवें उम्मीदवार के तौर पर संजय सेठ पर दांव खेला है.

किसके पास कितने वोट?
उत्तर प्रदेश में विधानसभा में कुल 403 विधायक है. लेकिन वर्तमान में 4 सीट खाली हैं. ऐसे में वर्तमान विधायकों की संख्या 399 हो जाती है. इनमें भी 3 विधायक जेल में बंद हैं. तब यह संख्या घटकर 396 हो जाती है. एक राज्यसभा सदस्य को जीतने के लिए 37 विधायकों के वोट की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में हिसाब लगाए तो सपा को अपने तीनों उम्मीदवारों को जीताने के लिए कुल 111 वोटों की जरूरत पड़ेगी.

सपा का क्या है अंकगणित?
अब अगर समाजवादी पार्टी की बात करें, तो उनके मौजूदा 108 विधायक हैं. उनमें से दो जेल में हैं. ऐसे में कुल संख्या घटकर 106 रह गई. इसके अलावा पल्लवी पटेल ने वोट नहीं देने की बात कही है. तो उनके विधायकों की संख्या घटकर 105 हो गई. यानी जरूरी संख्या से 6 कम. अब कांग्रेस के साथ सीटों के बंटवारे के बाद इसमें अगर कांग्रेस के 2 विधायक जोड़ लें तो यह संख्या 107 हो जाती है. ऐसे में सपा को कुल 3 सीट जीतने के लिए 111 वोट की जरूरत पड़ेगी. 

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सपा को क्रॉस वोटिंग का डर
दूसरी ओर, सपा को क्रॉस वोटिंग का भी डर है. क्योंकि उसके 10 विधायकों के बीजेपी के संपर्क में होने का दावा किया जा रहा है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की ओर से बुलाई गई मीटिंग में राकेश पांडेय, अभय सिंह, राकेश सिंह, मनोज पांडेय विनोद चतुर्वेदी, महाराजी प्रजापति, पूजा पाल और पल्लवी पटेल नहीं पहुंचे.

बीजेपी के आठवें कैंडिडेट के वोट भी आसान नहीं
राज्यसभा की राह बीजेपी के संजय सेठ की भी आसान नहीं है. एनडीए के 17 सरप्लस वोट मिलने के बावजूद उन्हें जीतने के लिए 20 और वोट चाहिए. बीजेपी को तब बड़ी राहत मिली, जब उसे राष्ट्रीय लोक दल का साथ मिला. आरएलडी के सभी 9 विधायक बीजेपी उम्मीदवारों को वोट देंगे. वैसे तो बीजेपी आरएलडी गठबंधन का ऐलान नहीं हुआ, लेकिन राज्य सभा चुनाव में बीजेपी का साथ देकर आरएलडी ने इस पर मुहर लगा दी है. 

राजा भैया भी बीजेपी के साथ
राज्यसभा चुनाव में हर एक वोट कितना कीमती है, इस बात का अंदाजा सिर्फ इससे लगाया जा सकता है कि दो विधायकों वाली राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल का वोट पाने के लिए मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी हो या फिर सत्ताधारी बीजेपी, दोनों ने ऐड़ी चोटी का जोर लगाया हुआ है. हालांकि, राजा भैया की पार्टी ने ऐलान कर दिया है कि उनका वोट बीजेपी के पक्ष में जाएगा. 

बीजेपी ने जो बिसात बिछाई है, उसके हिसाब से सिर्फ क्रॉस वोटिंग से ही सपा का तीसरा उम्मीदवार जीत सकता है. लेकिन लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सपा में टूट की संभावना ज्यादा है.

कर्नाटक में भी फंसा है पेंच 
कर्नाटक की 4 सीटों पर वोटिंग होनी है. यहां सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिए अपने तीनों उम्मीदवारों को चुनने के लिए पर्याप्त संख्या बल है. लेकिन बीजेपी और जेडीएस ने अतिरिक्त उम्मीदवार खड़ा कर कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. क्रॉस वोटिंग के डर से कर्नाटक में कांग्रेस के सभी विधायकों को सोमवार रात होटल में ही ठहराया जा रहा है. 

कर्नाटक में कौन-कौन उम्मीदवार
कर्नाटक में कांग्रेस ने ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी के कोषाध्यक्ष अजय माकन, सैयद नसीर हुसैन और जीसी चंद्रशेखर को उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी ने नारायण स्वामी बंडगे को मैदान में उतारा. वहीं, बीजेपी-जेडीएस गठबंधन ने डी कूपेंद्र रेड्डी को पांचवें उम्मीदवार के तौर पर उतारकर कांग्रेस के लिए चीजों को फंसा दिया है.

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किसके पास कितने वोट?
कर्नाटक विधानसभा में कुल 224 विधायक हैं. बीजेपी के पास 66, जेडीएस के पास 19 और कांग्रेस के पास 134 विधायक हैं. 1 विधायक एसकेपी का है और 1 विधायक केआरपीपी का. इसके अलावा 2 निर्दलीय विधायक भी हैं. ये चारों कांग्रेस को सपोर्ट कर रहे हैं.

क्या हैं सियासी समीकरण?
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीतने के लिए एक उम्मीदवार को 46 वोटों की जरूरत है. ऐसे में बीजेपी का एक सीट पक्का है. उसके बाद भी बीजेपी के पास वोटिंग के लिए 20 विधायकों का सरप्लस है. अगर इन 20 विधायकों को जेडीएस के 19 विधायकों के साथ जोड़ दिया जाए, तो संख्या 39 हो जाती है. मतलब एक और सीट जीतने के लिए बीजेपी-जेडीएस और 7 वोटों की जरूरत है. इसके लिए बेशक बीजेपी को कांग्रेस के वोटों को तोड़ना होगा. 3 उम्मीदवारों को राज्यसभा भेजने के लिए कांग्रेस को 138 वोटों की दरकार है. ये संख्या निर्दलीय विधायकों को मिलाकर पूरी हो जाती है.

वोटों के हिसाब से भले ही कांग्रेस का पलड़ा भारी लगता हो, लेकिन बीजेपी अपने रिकॉर्ड के मुताबिक, इस खेल बिगाड़ सकती है. दावा है कि इस बार बीजेपी और जेडीएस भी क्रॉस वोटिंग करेंगे. अगर क्रॉस वोटिंग हुई, तो कांग्रेस का तीसरा उम्मीदवार हार सकता है.



हिमाचल में भी बीजेपी की चुनौती
हिमाचल प्रदेश की एक राज्यसभा सीट के लिए चुनाव होना है. इस चुनाव में कांग्रेस से डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी भी और बीजेपी से हर्ष महाजन चुनावी मैदान में हैं. 13 फरवरी तक बीजेपी राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी उतारने के मूड में नहीं थी, लेकिन 14 फरवरी की सुबह अचानक हर्ष महाजन नामांकन भरने के लिए विधानसभा पहुंच गए. हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के पर्याप्त बहुमत के साथ सरकार में होने के बावजूद बीजेपी ने जीत के लिए समीकरण साध रही है.

हिमाचल के सियासी समीकरण
राज्य में अभी 68 विधायक हैं.  कांग्रेस के पास 40 विधायक हैं और बीजेपी के पास केवल 25 विधायक. जीत के लिए
पहली पसंद के 35 वोट जरूरी हैं. 3 निर्दलीय विधायक भी कांग्रेस को समर्थन दे रहे हैं. 

सियासी दांवपेंच खेल रही बीजेपी
ऐसे में सिर्फ क्रॉस वोटिंग होने पर ही बीजेपी कैंडिडेट जीत सकता है. बीजेपी निर्दलीय विधायकों और कांग्रेस के नाराज विधायकों को टारगेट कर रही है. नालागढ़ से कृष्ण लाल ठाकुर, देहरा से होशियार सिंह और हमीरपुर से आशीष शर्मा निर्दलीय विधायक हैं. इनमें कृष्ण लाल ठाकुर और होशियार सिंह बीजेपी से बागी होकर चुनाव लड़े थे. वहीं, आशीष शर्मा कांग्रेस से बागी होकर चुनाव जीत विधायक बने हैं. बीजेपी उनके कांग्रेस विधायकों को भी टारगेट पर रखे हुए है, जो लंबे वक्त से अपनी ही सरकार से नाराज चल रहे हैं.

राज्यसभा की 41 सीटों पर निर्विरोध हुआ चुनाव
राज्यसभा की 41 सीटों पर 20 फरवरी को निर्विरोध चुनाव हुआ. विजयी सांसदों में 20 बीजेपी, 6 कांग्रेस, 4 टीएमसी, 3 वाईआर कांग्रेस, 2 आरजेडी, 2 बीजेडी और एनसीपी, शिवसेना, बीआरएस, जेडीयू के एक-एक सांसद थे. अब राज्यसभा में बीजेपी के 113, कांग्रेस के 36, टीएमसी के 17, आम आदमी पार्टी के 10, डीएमके 10, वाई आर कांग्रेस के 3, आरजेडी के 2, बीजेडी के 2, एनसीपी, शिवसेना, बीआरएस और जेडीयू का एक सांसद है.

राज्यसभा में बहुमत के करीब NDA
इसी के साथ राज्य सभा में एनडीए बहुमत के आंकड़े के नजदीक पहुंचता दिख रहा है. राज्य सभा में एनडीए की मौजूदा संख्या 117 और बीजेपी की 94 है. यूपी और हिमाचल में अतिरिक्त सीटें जीतने पर बीजेपी की संख्या 96 पहुंच सकती है. जेडीएस को एक अतिरिक्त सीट मिलने पर एनडीए की संख्या बढ़ेगी. मनोनीत और निर्दलियों का समर्थन मिला कर एनडीए 120 तक पहुंच सकता है. छह सदस्यों का मनोनयन अभी होना है, और ऐसे में उनका समर्थन लेकर एनडीए बहुमत का आंकड़ा पार कर सकता है. राज्य सभा में बहुमत का आंकड़ा 122 है.

राज्यसभा सदस्यों का चुनाव कौन करता है?
राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया लोकसभा और विधानसभा चुनाव से काफी अलग है, क्योंकि इस सदन के लिए मतदान सीधे जनता नहीं करती, बल्कि जनता के द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि करते हैं. क्योंकि राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 साल का होता है. 

राज्यसभा में किस राज्य से कितने सांसद होंगे यह उस राज्य की जनसंख्या के हिसाब से तय होता है. राज्यसभा के सदस्य का चुनाव उस राज्य की विधानसभा के चुने हुए विधायक करते हैं, जिस राज्य से वह उम्मीदवार है. राज्यसभा चुनावों के नतीजों के लिए एक फॉर्मूला भी तय किया गया है.

चुनाव नतीजों का ये फॉर्मूला क्या है? 
विधायकों को चुनाव आयोग की ओर से एक स्पेशल पेन दी जाती है. उसी पेन से उम्मीदवारों के आगे वोटर को नंबर लिखने होते हैं. एक नंबर उसे सबसे पसंदीदा उम्मीदवार के नाम के आगे डालना होता है. ऐसे दूसरी पसंद वाले उम्मीदवार के आगे दो लिखना होता है. इसी तरह विधायक चाहे तो सभी उम्मीदावारों को वरीयता क्रम दे सकता है. 

अगर आयोग द्वारा दी गई विशेष पेन का इस्तेमाल नहीं होता तो वह वोट अमान्य हो जाता है. इसके बाद विधानसभा के विधायकों की संख्या और राज्यसभा के लिए खाली सीटों के आधार पर जीत के लिए आवश्यक वोट तय होते हैं. जो उम्मीदवार उस आवश्यक संख्या से अधिक वोट पाता है वह विजयी घोषित होता है.

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