पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड की एक अहम सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने तीन हत्यारों को मिली फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया है। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश सतशिवम की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने अब यह तमिलनाडु सरकार पर छोड़ दिया है कि वह तीनों हत्यारों को जेल में रखे या फिर आजाद कर दे।
उच्चतम न्यायालय ने मृत्युदंड को कम करते समय दोषियों की दया याचिका पर निर्णय लेने में केंद्र सरकार की ओर से हुई 11 साल की देरी का जिक्र किया।
उच्चतम न्यायालय ने केंद्र की इस दलील को खारिज कर दिया कि दोषी संथन, मुरगन और पेरारिवलन की दया याचिकाओं पर फैसले में देरी से उन्हें कोई वेदना नहीं सहनी पड़ी। उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह दया याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए राष्ट्रपति को उचित समय में सलाह दे।’
उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘हमें भरोसा है कि दया याचिका पर निर्णय लेने में इस समय जितनी देरी हो रही है, इन याचिकाओं पर उससे कहीं जल्दी फैसला लिया जा सकता है।’
इससे पहले 4 फरवरी को सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। वहीं, हत्या के दोषी तीनों आरोपियों की अपील का केंद्र सरकार ने जोरदार विरोध किया था। तीनों आरोपियों ने मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने संबंधी अपील दायर की थी।
केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा था, मौत की सजा पाए दोषियों को दया याचिकाएं लंबित रहने के दौरान किसी प्रकार के उत्पीड़न और अमानवीय अनुभव का सामना नहीं करना पड़ा। केन्द्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा, सजा-ए-मौत कम करने के लिए यह योग्य मामला नहीं है।
साथ ही कोर्ट में केंद्र ने कहा है कि दोषी दया के लायक नहीं हैं। जिन तीन दोषियों ने याचिका दायर की है उनके नाम हैं मुरुगन, सांथन और पेरारिवालन।
दरअसल, इन तीनों दोषियों को फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की उम्मीद थी, क्योंकि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि फांसी की सजा को उम्रकैद में बदला जा सकता है, अगर दया याचिका पर फैसला लेने में जरूरत से ज्यादा वक्त लिया गया हो।
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