राजस्थान (Rajasthan Politics) में सियासी उठापटक का खेल जारी है. प्रदेश के तत्कालीन उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) को भेजे गए SOG के एक नोटिस के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई. पायलट ने बगावती तेवर दिखाते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. वह मुख्यमंत्री को हटाने की मांग को लेकर दिल्ली पहुंच गए लेकिन बात नहीं बनी. दूसरी ओर गहलोत ने आरोप लगाया कि पायलट पिछले 6 महीनों से उनकी सरकार को गिराने की कोशिश कर रहे थे. इस सियासी जंग के पहले राउंड में गहलोत ने बाजी मारी और कांग्रेस ने तत्काल प्रभाव से सचिन पायलट को डिप्टी सीएम व प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया. फिलहाल उन्हें कांग्रेस पार्टी से निष्कासित नहीं किया गया है. पायलट समेत 19 कांग्रेसी विधायक अपनी विधायकी बचाने के लिए हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे हैं.
राजस्थान के सियासी घटनाक्रम से जुड़ी 10 बातें
- राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पायलट कैंप की याचिका पर स्पीकर सीपी जोशी के नोटिस मामले में सुनवाई करते हुए यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश दिए, यानी पायलट समेत 19 कांग्रेसी विधायक फिलहाल के लिए अयोग्य करार नहीं दिए जा सकते.
- इस आदेश के बाद सीएम अशोक गहलोत अपने समर्थक विधायकों के साथ राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलने के लिए राजभवन पहुंचे. गहलोत ने राज्यपाल से जल्द से जल्द विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की लेकिन राज्यपाल ने कोई फैसला नहीं लिया. गहलोत समर्थक विधायकों ने राजभवन में प्रदर्शन किया.
- विधायकों ने राजभवन में चार घंटे से अधिक समय तक विरोध प्रदर्शन किया. सीएम अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि राज्यपाल केंद्र सरकार के दबाव में विधानसभा सत्र नहीं बुला रहे हैं और बहुमत परीक्षण रोक रहे हैं.
- सीएम अशोक गहलोत ने राज्यपाल को 102 विधायकों की सूची सौंपी है, जिन्होंने विधानसभा सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल से निवेदन किया है. मुख्यमंत्री ने बीजेपी पर राज्यपाल पर दबाव बनाने का आरोप लगाते हुए कहा, 'हमने गुरुवार को उनसे सत्र बुलाने का अनुरोध किया और पूरी रात इंतजार किया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.'
- राज्यपाल कलराज मिश्र ने गहलोत के आरोपों का जवाब देते हुए NDTV से कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री के अनुरोध को ठुकराया नहीं है. उन्होंने अभी तक कुछ तय नहीं किया है.
- राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि वह संविधान के अनुसार ही काम करेंगे. सामान्य प्रक्रिया के तहत, सत्र को बुलाए जाने के लिए 21 दिन के नोटिस की आवश्यकता होती है. राज्यपाल ने कहा कि उन्हें घोषणा करने से पहले कुछ बिंदुओं पर राज्य सरकार की प्रतिक्रिया की आवश्यकता थी.
- राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा का आपात सत्र बुलाने का कोई भी महत्वपूर्ण कारण और एजेंडा नहीं बताया. जिस दिन विधानसभा का सत्र बुलाया जाना है, उन्होंने उसका उल्लेख कैबिनेट नोट में नहीं किया है और इसके लिए कैबिनेट द्वारा कोई मंजूरी नहीं दी गई है.
- राज्यपाल ने सीएम गहलोत के एक बयान का जिक्र करते हुए राजस्थान में कानून व्यवस्था पर भी सवाल उठाए. दरअसल मुख्यमंत्री ने अपने बयान में जनता द्वारा राजभवन घेरने की बात कही थी. माना जा रहा है कि राज्यपाल सत्र न बुलाने के लिए कोरोनावायरस महामारी को वजह के तौर पर बता सकते हैं.
- राजस्थान के सियासी घटनाक्रम पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'देश में संविधान और कानून का शासन है. सरकारें जनता के बहुमत से बनती व चलती हैं. राजस्थान सरकार गिराने का भाजपाई षडयंत्र साफ है. ये राजस्थान के आठ करोड़ लोगों का अपमान है. राज्यपाल महोदय को विधान सभा सत्र बुलाना चाहिए ताकि सच्चाई देश के सामने आए.'
- इस सियासी उठापटक के बीच राजस्थान कांग्रेस आज (शनिवार) सभी जिला मुख्यालयों में बीजेपी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी. प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि बीजेपी राज्य में लोकतंत्र की हत्या कर रही है और इसके विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ता शनिवार को सभी जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन करेंगे.