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This Article is From Jul 31, 2020

इस समय भूमि-पूजन की आवश्यकता नहीं थी, अभी लोगों की मानसिक स्थिति बिल्कुल अलग है : राज ठाकरे

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने शुक्रवार को कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 संकट के मद्देनजर अयोध्या में राम मंदिर के लिए अभी ‘भूमि पूजन’ कार्यक्रम आयोजित करने की आवश्यकता नहीं थी और इसे स्थिति सामान्य होने के बाद आयोजित किया जा सकता था.

इस समय भूमि-पूजन की आवश्यकता नहीं थी, अभी लोगों की मानसिक स्थिति बिल्कुल अलग है : राज ठाकरे
राज ठाकरे ने भूमि पूजन के लिए उद्धव ठाकरे का भी सुझाव खारिज कर दिया है.
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने शुक्रवार को कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 संकट के मद्देनजर अयोध्या में राम मंदिर के लिए अभी ‘भूमि पूजन' कार्यक्रम आयोजित करने की आवश्यकता नहीं थी और इसे स्थिति सामान्य होने के बाद आयोजित किया जा सकता था.  राम मंदिर के लिए भूमि पूजन का कार्यक्रम पांच अगस्त को आयोजित किया जा रहा है. ठाकरे ने ‘ई- भूमि पूजन' के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के सुझाव को भी खारिज कर दिया और कहा कि भूमि पूजन का कार्यक्रम बड़े उत्साह के साथ आयोजित किया जाना चाहिए. मनसे प्रमुख ने मराठी समाचार चैनल से कहा, 'इस समय भूमि-पूजन की आवश्यकता नहीं थी क्योंकि अभी लोगों की मानसिक स्थिति बिल्कुल अलग है। स्थिति सामान्य होने पर इसे दो महीने बाद भी किया जा सकता था। तब लोग इस कार्यक्रम का आनंद भी उठा पाते.' श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास ने अयोध्या में भूमि पूजन के लिए प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया है. न्यास के सदस्यों के अनुसार, राम मंदिर का निर्माण शुरू करने के वास्ते भूमि पूजन के लिए प्रधानमंत्री के पांच अगस्त को अयोध्या का दौरा करने की उम्मीद है. 

मायावती ने दलित महामंडलेश्वर को बुलाने का समर्थन किया
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने दलित महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभुनंदन गिरि को अयोध्या में पांच जुलाई को राम मंदिर के भूमि पूजन में आमंत्रित करने का समर्थन करते हुए शुक्रवार को कहा कि इससे जातिविहीन समाज बनाने की संवैधानिक मंशा पर कुछ असर पड़ता.  मायावती ने ट्वीट किया, 'दलित महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभुनन्दन गिरि की शिकायत के मद्देनजर यदि अयोध्या में पांच अगस्त को होने वाले भूमि पूजन समारोह में अन्य 200 साधु-सन्तों के साथ इनको भी बुला लिया गया होता तो यह बेहतर होता.'

उन्होंने कहा, 'इससे देश में जातिविहीन समाज बनाने की संवैधानिक मंशा पर कुछ असर पड़ सकता था.' बसपा सुप्रीमो ने कहा, 'वैसे जातिवादी उपेक्षा, तिरस्कार व अन्याय से पीड़ित दलित समाज को इन चक्करों में पड़ने के बजाए अपने उद्धार हेतु श्रम एवं कर्म में ही ज्यादा ध्यान देना चाहिए व इस मामले में भी अपने मसीहा परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के बताए रास्ते पर चलना चाहिए, यही बीएसपी की इनको सलाह है.'

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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