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क्या Raisina Dialogue 2025 में दिखेगा डोनाल्ड ट्रंप का प्रभाव, इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा

Raisina Dialogue 2025 Today Updates: नई दिल्ली में रायसीना डायलॉग का आयोजन ऐसे समय हो रहा है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों की वजह से पूरी दुनिया में उथल-पुथल मची हुई है. आइए देखते हुए इसमें किन मुद्दों पर चर्चा हो सकती है.

क्या Raisina Dialogue 2025 में दिखेगा डोनाल्ड ट्रंप का प्रभाव, इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा
नई दिल्ली:

नई दिल्ली में सोमवार से 'रायसीना डायलॉग'  शुरू हो रहा है. इसका समापन बुधवार को होगा. इसका आयोजन विदेश मंत्रालय हर साल करता है. 'रायसीना डायलॉग' के जरिए भारत दुनिया भर के नेताओं और नीति-निर्माताओं को एक ऐसा मंच उपलब्ध कराता है, जहां वो अतंरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा कर सकें. इस बार के आयोजन का समय काफी महत्वपूर्ण हैं. अमेरिका डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति के रूप में दूसरा कार्यकाल शुरू हो चुका है. उनके बयानों से दुनिया में उथल-पुथल मची हुई है. इससे वर्ल्ड ऑर्डर बदलता हुआ दिख रहा है. ऐसे में आइए देखते है कि इस बार'रायसीना डायलॉग'में चर्चा का मुख्य विषय क्या हो सकता है. 

'रायसीना डायलॉग' में कितने विदेश मंत्री आ रहे हैं

'रायसीना डायलॉग' में शामिल होने वाले 20 विदेश मंत्रियों में से 11 यूरोप से हैं. इनमें यूक्रेन के विदेश मंत्री आंद्रई सिबिहा का भी नाम है. इससे पहले 2024 में भी यूरोपीय देशों की भागीदारी अधिक रही थी. उस सम्मेलन के मुख्य अतिथि ग्रीस के प्रधानमंत्री थे.उसमें शामिल हुए 21 विदेश मंत्रियों में से 15 यूरोप के थे.रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव नियमित रूप से 'रायसीना डायलॉग' में शामिल होते थे. साल 2023 में आयोजित 'रायसीना डायलॉग' में लावरोव को यूक्रेन पर हमले को लेकर तीखे सवालों का सामना करना पड़ा था. लावरोव इस साल इस सम्मेलन में नहीं आ रहे हैं.  

किन अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर हो सकती है चर्चा

'रायसीना डायलॉग' का आयोजन म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के एक महीने बाद हो रहा है. म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की ओर से यूरोप को दी गई चेतावनी से हलचल मच गई थी. ऐसे में 'रायसीना डायलॉग' में भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति इस सम्मेलन के चर्चा के केंद्र में हो सकती है. सम्मेलन में जिन मुद्दों पर चर्चा हो सकती है, उसमें निम्न विषय शामिल हैं.  

  • रूस यूक्रेन युद्ध और शांति वार्ता की कोशिशें.
  • नई टैरिफ नीति. इससे भारत समेत दुनिया के कई देशों से अमेरिका के संबंध प्रभावित हो सकते हैं. 
  • नैटो और यूरोपीय सहयोगियों के साथ अमेरिका के बिगड़ते रिश्ते.
  • इंडो-पैसिफिक नीति पर जारी अनिश्चितता.
  • इजरायल-हमास का युद्ध विराम समझौता और भविष्य.
  • चीन और ताइवान पर अमेरिकी रुख में आया बदलाव

अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया सेवा की निदेशक तुलसी गैबार्ड दुनिया भर के खुफिया प्रमुखों के सम्मेलन में एक प्रतिनिधिमंडल के साथ शामिल होने आई हैं. इस सम्मेलन की मेजबानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल कर रहे हैं. गैबार्ड रायसीना डायलॉग में भी शामिल होंगी. उनके अतिरिक्त राष्ट्रपति ट्रंप के विशेष सहायक और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अधिकारी रिकी गिल और वरिष्ठ सलाहकार जेम्स कराफानो का नाम भी वक्ताओं की सूची में शामिल है. ऐसे में उम्मीद है कि ये अमेरिकी अधिकारी अपनी नई विदेश नीति का बचाव करेंगे.

क्या क्वाड समिट पर भी होगी चर्चा

भारत इस साल क्वाड लीडर्स समिट की मेजबानी करेगा.क्वाड में भारत के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं. इसे देखते हुए उम्मीद है कि 'रायसीना डायलॉग'में एक क्वाड पैनल भी शामिल होगा. इसमें समुद्री सहयोग के विस्तार को लेकर कुछ घोषणाएं संभव हैं.रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की कोशिशों के बीच रायसीना डायलॉग का आयोजन हो रहा है. वॉशिंगटन में ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की मुलाकात में हुए तीखा शब्द युद्ध हुआ था. ऐसे में रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान पर भी इस कार्यक्रम में चर्चा संभव है.

इस बार अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के प्रमुख राफेल ग्रॉसी का नाम भी वक्ताओं की सूची में है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि वह यूक्रेन युद्ध और ईरान के साथ परमाणु वार्ता फिर से शुरू करने पर चर्चा कर सकते हैं. 

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