उज्जैन सिंहस्थ (फाइल फोटो)
उज्जैन:
मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में एक माह तक चलने वाले सिंहस्थ (कुंभ) मेले के दूसरे शाही स्नान के दौरान सोमवार को ओलावृष्टि, बारिश और तेज हवाओं के प्रतिकूल मौसम ने लोगों का मजा किरकिरा कर दिया। गौरतलब है कि पहले शाही स्नान के दौरान तो 7 लोगों की मौत हो गई थी।
सिंहस्थ का दूसरा शाही स्नान सोमवार तड़के शुरू हुआ और मौसम का मिजाज दोपहर करीब 3 बजे बिगड़ना शुरू हुआ। तेज बारिश और ओलों से बचने की लिए शाही स्नान में शामिल होने आए श्रद्धालुओं की भीड़ आसरे के लिए इधर-उधर भागती रही।
जानमाल के नुकसान की खबर नहीं
बारिश के 15 मिनट बाद जिला कलेक्टर कवीन्द्र कियावत ने फोन पर ‘भाषा’ को बताया कि अभी तक कहीं से किसी जनहानि और संपत्ति के नुकसान की सूचना नहीं है। हम सभी क्षेत्रों से जानकारी हासिल कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि कुछ घनी आबादी वाले इलाकों में ओले भी गिरे हैं।
उन्होंने दावा किया कि सिंहस्थ के दूसरे शाही स्नान के मौके पर शहर में मौसम बिगड़ने से पहले लगभग 30 लाख श्रद्धालु क्षिप्रा नदी में पवित्र स्नान कर चुके हैं। इस बीच, इस ऐतहासिक शहर में तेज बारिश का दौर फिलहाल जारी है।
हुई थी 7 लोगों की मौत
चार दिन पहले ऐसे ही प्रतिकूल मौसम के कारण यहां मची अफरा-तफरी से सात लोगों की मौत हो गई थी और 90 लोग घायल हो गये थे।
जूना अखाड़े ने की शुरुआत
दूसरे शाही स्नान की शुरुआत करते हुए जूना अखाड़ा के नागा बाबाओं ने हर-हर महादेव का जयकारा लगाते हुए पवित्र क्षिप्रा नदी में प्रवेश किया। सूर्योदय के पहले से लेकर दोपहर बारह बजे तक साधुओं के शाही स्नान के लिए रामघाट को तैयार किया गया है।
सिंहस्थ के दूसरे शाही स्नान में हिस्सा लेने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब यहां उमड़ा हुआ है। यह स्नान अक्षय तृतीया के साथ पड़ने की वजह से और भी अधिक शुभ माना जा रहा है।
स्नान की शुरूआत जूना अखड़ा के पुजारी हरि गिरी द्वारा रामघाट पर पूजा अर्चना के साथ हुई।
देश-विदेश से आए श्रद्धालु
सिंहस्थ मेले में शामिल होने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से लोग इस पवित्र शहर में जुटे हैं। कुंभ के इस मेले का आयोजन हर 12 साल बाद किया जाता है। उज्जैन को देश में मौजूद 12 ज्योतिर्लिगों में से एक और भगवान महाकालेश्वर का निवास भी माना जाता है।
किन्नरों का शाही स्नान 12 को
इस बार, मेला क्षेत्र में किन्नरों ने भी अपना अखाड़ा बनाया है और उन्होंने शहर में एक जुलूस भी निकाला। इस जुलूस का लोगों ने भव्य स्वागत किया। सोमवार को उनका भी शाही स्नान होना था, लेकिन अब उन्होंने इसे 12 मई तक के लिए टाल दिया है।
सिंहस्थ का दूसरा शाही स्नान सोमवार तड़के शुरू हुआ और मौसम का मिजाज दोपहर करीब 3 बजे बिगड़ना शुरू हुआ। तेज बारिश और ओलों से बचने की लिए शाही स्नान में शामिल होने आए श्रद्धालुओं की भीड़ आसरे के लिए इधर-उधर भागती रही।
जानमाल के नुकसान की खबर नहीं
बारिश के 15 मिनट बाद जिला कलेक्टर कवीन्द्र कियावत ने फोन पर ‘भाषा’ को बताया कि अभी तक कहीं से किसी जनहानि और संपत्ति के नुकसान की सूचना नहीं है। हम सभी क्षेत्रों से जानकारी हासिल कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि कुछ घनी आबादी वाले इलाकों में ओले भी गिरे हैं।
उन्होंने दावा किया कि सिंहस्थ के दूसरे शाही स्नान के मौके पर शहर में मौसम बिगड़ने से पहले लगभग 30 लाख श्रद्धालु क्षिप्रा नदी में पवित्र स्नान कर चुके हैं। इस बीच, इस ऐतहासिक शहर में तेज बारिश का दौर फिलहाल जारी है।
हुई थी 7 लोगों की मौत
चार दिन पहले ऐसे ही प्रतिकूल मौसम के कारण यहां मची अफरा-तफरी से सात लोगों की मौत हो गई थी और 90 लोग घायल हो गये थे।
जूना अखाड़े ने की शुरुआत
दूसरे शाही स्नान की शुरुआत करते हुए जूना अखाड़ा के नागा बाबाओं ने हर-हर महादेव का जयकारा लगाते हुए पवित्र क्षिप्रा नदी में प्रवेश किया। सूर्योदय के पहले से लेकर दोपहर बारह बजे तक साधुओं के शाही स्नान के लिए रामघाट को तैयार किया गया है।
सिंहस्थ के दूसरे शाही स्नान में हिस्सा लेने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब यहां उमड़ा हुआ है। यह स्नान अक्षय तृतीया के साथ पड़ने की वजह से और भी अधिक शुभ माना जा रहा है।
स्नान की शुरूआत जूना अखड़ा के पुजारी हरि गिरी द्वारा रामघाट पर पूजा अर्चना के साथ हुई।
देश-विदेश से आए श्रद्धालु
सिंहस्थ मेले में शामिल होने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से लोग इस पवित्र शहर में जुटे हैं। कुंभ के इस मेले का आयोजन हर 12 साल बाद किया जाता है। उज्जैन को देश में मौजूद 12 ज्योतिर्लिगों में से एक और भगवान महाकालेश्वर का निवास भी माना जाता है।
किन्नरों का शाही स्नान 12 को
इस बार, मेला क्षेत्र में किन्नरों ने भी अपना अखाड़ा बनाया है और उन्होंने शहर में एक जुलूस भी निकाला। इस जुलूस का लोगों ने भव्य स्वागत किया। सोमवार को उनका भी शाही स्नान होना था, लेकिन अब उन्होंने इसे 12 मई तक के लिए टाल दिया है।
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