पुणे:
मोबाइल फोन को लेकर कई तरह की खबरें और जानकारियां लगातार आती रहती हैं. मसलन एक ख़बर की मानें तो मोबाइल फोन अक्सर शौचालयों की सीट से भी ज्यादा गंदे होते हैं. बताया तो यह भी जाता है कि कुछ स्मार्ट फोनों पर तो ऐसे बैक्टीरिया पाए जाते हैं जो इतने ढीठ होते हैं कि उन पर दवाओं का असर ही नहीं होता. यह चौंका देने वाले परिणाम सरकारी संस्थान राष्ट्रीय कोशिका विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने निकाले हैं. यह संस्था मोबाइल फोनों की स्क्रीन पर सूक्ष्म जीवों की तीन नई प्रजातियों की पहचान करने में कामयाब रही है.
जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्त पोषित इस प्रयोगशाला ने ऐसे दो बैक्टीरिया और फंगस की पहचान की है, जिनका जिक्र वैज्ञानिक साहित्य में पहले कभी नहीं किया गया. इससे पहले 2015 में यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया हुए एक अध्ययन में पाया गया था कि शौचालयों की सीट पर तीन अलग प्रकार के बैक्टेरिया पाए जाते हैं लेकिन मोबाइल फोन पर औसतन 10-12 विभिन्न प्रकार के फफूंद और बैक्टीरिया पाए जाते हैं.
चूंकि मोबाइल फोन रसोई से लेकर सार्वजनिक परिवहन तक लगभग हर तरह के माहौल में ले जाए जाते हैं, ऐसे में फोन पर आए पसीने और मैल में ये सूक्ष्मजीव अच्छी तरह पनप जाते हैं. पुणे में, योगेश एस शोउचे और एनसीसीएस में उनके समूह ने 27 मोबाइल फोनों की स्क्रीनों से नमूने एकत्र किए हैं. वे 515 विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया और 28 प्रकार के फफूंदों की पहचान कर पाने में सफल रहे. इस कार्य से जुड़े सह-परीक्षणकर्ता प्रवीन राही ने कहा कि ये सूक्ष्मजीव इंसानों के मददगार हैं और आम तौर पर हमारे शरीर पर पनपते हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्त पोषित इस प्रयोगशाला ने ऐसे दो बैक्टीरिया और फंगस की पहचान की है, जिनका जिक्र वैज्ञानिक साहित्य में पहले कभी नहीं किया गया. इससे पहले 2015 में यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया हुए एक अध्ययन में पाया गया था कि शौचालयों की सीट पर तीन अलग प्रकार के बैक्टेरिया पाए जाते हैं लेकिन मोबाइल फोन पर औसतन 10-12 विभिन्न प्रकार के फफूंद और बैक्टीरिया पाए जाते हैं.
चूंकि मोबाइल फोन रसोई से लेकर सार्वजनिक परिवहन तक लगभग हर तरह के माहौल में ले जाए जाते हैं, ऐसे में फोन पर आए पसीने और मैल में ये सूक्ष्मजीव अच्छी तरह पनप जाते हैं. पुणे में, योगेश एस शोउचे और एनसीसीएस में उनके समूह ने 27 मोबाइल फोनों की स्क्रीनों से नमूने एकत्र किए हैं. वे 515 विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया और 28 प्रकार के फफूंदों की पहचान कर पाने में सफल रहे. इस कार्य से जुड़े सह-परीक्षणकर्ता प्रवीन राही ने कहा कि ये सूक्ष्मजीव इंसानों के मददगार हैं और आम तौर पर हमारे शरीर पर पनपते हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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