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This Article is From May 14, 2015

जयललिता मामले में सरकारी वकील ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की दी सलाह

जयललिता मामले में सरकारी वकील ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की दी सलाह
जयललिता की फाइल फोटो
बेंगलुरु: कर्नाटक हाई कोर्ट के जयललिता को दोषमुक्त करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की सिफारिश इस मामले में सरकारी वकील बी.वी. आचार्य ने की है। सरकारी वकील का कहना है कि उनकी नियुक्ति आखि‍री वक़्त में हुई यानी अभियोजन पक्ष को सफाई देने का पर्याप्त मौक़ा नहीं दिया गया।

साथ-साथ जिस आधार पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने फैसला लिया है उसमें कई खामियां हैं, ख़ासकर जयललिता की आमदनी के आंकलन को लेकर। ऐसे में अभियोजन पक्ष के तौर पर कर्नाटक सरकार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का पूरा अधिकार है।

बी.वी. आचार्य ने बताया कि अब कर्नाटक सरकार को ये तय करना है कि आगे वो क्या करना चाहते हैं। इससे पहले राज्य के गृह मंत्री के जी जॉर्ज और क़ानून मंत्री ये कह चुके हैं कि सरकारी वकील के साथ-साथ क़ानून सचिव और राज्य के महा अधिवक्ता रविवर्मा कुमार के साथ विचार विमर्श करने के बाद तय किया जाएगा कि आगे क्या करना है।

अगर कर्नाटक सरकार इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देती है तो जयललिता की समस्या बढ़ सकती है और सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक मुख्यमंत्री पद पर लौटने का उनका इरादा खटाई में पड़ सकता है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में अपील का अहम फैसला राज्य की कांग्रेस सरकार की जगह ज़ाहिर है कांग्रेस आलाकमान लेगा यानी अपील की जाए या नहीं ये दिल्ली में तय होगा।

ऊधर दूसरी तरफ तक़रीबन 67 करोड़ रुपये के आय से अधिक संपत्ति के जयललिता के इस मामले को कोर्ट तक पहुंचाने वाले सुब्रहमण्यम स्वामी का कहना है कि वो स्पेशल लीव पीटिशन के जरि‍ए कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को चुनौति देंगे।

कर्नाटक हाई कोर्ट ने जयललिता सहित उनके द्वारा सभी सहयोगियों को दोषमुक्त करार देते हुए उनकी जप्त संपत्ति फ़ौरन वापस करने का हुक्म निचली अदालत को दिया था जिसने जयललिता को इस मामले में 4 साल की कैद और 100 करोड़ रुपये के जुर्माने की सजा सुनायी थी।

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