मणिपुर में तनावग्रस्त दो जिलों के बीच बुधवार को सुरक्षाबलों द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स की ओर प्रदर्शनकारियों के एक विशाल समूह ने मार्च करना शुरू कर दिया, जिससे सुरक्षाबलों को आंसू गैस और रबर की गोलियां चलानी पड़ीं. इस घटना में कई लोग घायल हो गए और उन्हें अस्पताल ले जाया गया. मैतेई नागरिक समाज समूहों की प्रमुख संस्था, समन्वय समिति (COCOMI) के आह्वान के बाद, प्रदर्शनकारी मणिपुर के मैतेई-बहुल घाटी क्षेत्र में कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए बाहर आए.
सीओसीओएमआई ने कहा कि वे सरकार की ऐसा नहीं करने की अपील के बावजूद चिन-कुकी-बहुल चुराचनपुर तक मार्च करेंगे.
स्थानीय लोगों ने कहा कि फौगाकचाओ इखाई में बैरिकेड के कारण वे टोरबुंग में अपने घर जाने में असमर्थ हैं. उन्होंने कहा कि जब 3 मई को जातीय हिंसा भड़की तो वे टोरबुंग से भाग गए थे.
COCOMI ने कहा कि उन्होंने सरकार से 30 अगस्त तक फौगाकचाओ इखाई में बैरिकेड हटाने का अनुरोध किया है.
पिछले कुछ हफ्तों से, घाटी के पांच जिलों में हर दिन सुबह 5 बजे से शाम 6 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई है.
कानून व्यवस्था बनाए रखना प्राथमिकता- चुराचांदपुर एसपी
चुराचांदपुर के पुलिस अधीक्षक कार्तिक मल्लाडी ने कहा, "हम दोनों जिलों के बीच के क्षेत्रों में कानून और व्यवस्था की स्थिति में किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकेंगे. जिला पुलिस, सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, आरएएफ, सेना और असम राइफल्स सहित पर्याप्त बल तैनात किए गए हैं."
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गौरतलब है कि दो समुदायों के बीच 3 मई को शुरू हुई हिंसक झड़प के बाद से तनाव अब तक कम नहीं हुआ है.
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