
नई दिल्ली:
पूरे देश में 'वीवीआईपी क्षेत्र' के नाम से मशहूर हो चुके संसदीय क्षेत्र रायबरेली से लोकसभा चुनाव 2019 में सोनिया गांधी का चुनाव लड़ना तय नहीं है. यह जानकारी सूत्रों से मिली हैं. माना जा रहा है गांधी परिवार की इस परंपरागत सीट से इस बार प्रियंका गांधी वाड्रा भी मैदान में उतर सकती हैं. आपको बता दें कि तीन बार से वह रायबरेली की सांसद हैं और उनकी जीत का अंतर भी काफी ज्यादा ही रहा है. रायबरेली से उनकी सास और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी चुनाव लड़ती रही हैं. हालांकि बीच में यह सीट दो बार बीजेपी के पास भी रही है. लेकिन सोनिया के राजनीति में आने के बाद से दोबारा इस सीट पर कोई भी पार्टी कांग्रेस को टक्कर नहीं दे पाई. रायबरेली-अमेठी कांग्रेस के इतने मजबूत गढ़ रहे हैं कि जब 2014 को लोकसभा चुनाव में बीजेपी मोदी लहर पर सवार होकर पूरे प्रदेश की 80 में से 71 सीटें जीती थीं तो भी कांग्रेस यहां मजबूत स्थिति में रही है. हालांकि यही दोनों सीटें ही कांग्रेस के खाते में आई थीं. रायबरेली का सांसद होते हुये सोनिया गांधी ने वहां रेल कोच फैक्टरी भी लगवाई है जिससे स्थानीय लोगों को नौकरियां और रोजगार के साधन मुहैया हुये हैं.
कैंडल मार्च के दौरान भड़कीं प्रियंका गांधी ने कहा- 'जो लोग यहां धक्का देने आए हैं वे घर जाएं'
लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि सोनिया गांधी के इतने साल सांसद रहने के बावजूद भी पूरा जिला, बिजली, सड़क और साफ पानी की समस्या जूझता रहा है. वहीं रेल कोच फैक्टरी लगने से कुछ हिस्से में रहने वाले लोगों का फायदा मिला है. फिलहाल देखने वाली बात यह होगी कि क्या दादी और मां की सीट पर प्रियंका गांधी वाड्रा अपने सक्रिय राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाली हैं. हालांकि साल 2017 में एनडीटीवी से खास बातचीत में प्रियंका गांधी ने खुद को रायबरेली सीट से लड़ने से इनकार कर दिया था. लेकिन बदलते राजनीतिक हालत और समीकरणों के बीच अब प्रियंका गांधी को कांग्रेस मैदान में उतार सकती है.
2019 लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की रणनीति
वहीं कांग्रेस ने 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए अपनी रणनीति को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है. कांग्रेस सूत्रों की मानें तो पार्टी दो चरणों में अपनी रणनीति तैयार कर रही है जिसका पहला चरण है बीजेपी को हराना. उसके बाद जब एक बार चुनावी नतीजे आ जाएंगे तो संख्याबल के अनुसार प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार तय किया जाएगा. सूत्रों के अनुसार कांग्रेस का मानना है कि अगर पार्टी RSS की तरह का संगठन बनाएगी तो अपना चरित्र खो देगी. आरएसएस की अपराजेय छवि गलत है और उसे भी हराया जा सकता है. 2004 में भी यही हुआ था.
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लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि सोनिया गांधी के इतने साल सांसद रहने के बावजूद भी पूरा जिला, बिजली, सड़क और साफ पानी की समस्या जूझता रहा है. वहीं रेल कोच फैक्टरी लगने से कुछ हिस्से में रहने वाले लोगों का फायदा मिला है. फिलहाल देखने वाली बात यह होगी कि क्या दादी और मां की सीट पर प्रियंका गांधी वाड्रा अपने सक्रिय राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाली हैं. हालांकि साल 2017 में एनडीटीवी से खास बातचीत में प्रियंका गांधी ने खुद को रायबरेली सीट से लड़ने से इनकार कर दिया था. लेकिन बदलते राजनीतिक हालत और समीकरणों के बीच अब प्रियंका गांधी को कांग्रेस मैदान में उतार सकती है.
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वहीं कांग्रेस ने 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए अपनी रणनीति को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है. कांग्रेस सूत्रों की मानें तो पार्टी दो चरणों में अपनी रणनीति तैयार कर रही है जिसका पहला चरण है बीजेपी को हराना. उसके बाद जब एक बार चुनावी नतीजे आ जाएंगे तो संख्याबल के अनुसार प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार तय किया जाएगा. सूत्रों के अनुसार कांग्रेस का मानना है कि अगर पार्टी RSS की तरह का संगठन बनाएगी तो अपना चरित्र खो देगी. आरएसएस की अपराजेय छवि गलत है और उसे भी हराया जा सकता है. 2004 में भी यही हुआ था.
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