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This Article is From Jun 29, 2016

उम्रकैद काट रहे कैदियों की सजा माफ करने से पहले पीड़ितों के बारे में सोचें सरकारें : सुप्रीम कोर्ट

उम्रकैद काट रहे कैदियों की सजा माफ करने से पहले पीड़ितों के बारे में सोचें सरकारें : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश में कहा है कि उम्रकैद की सजा का मतलब उम्रभर जेल होता है और ऐसे कैदियों की रिहाई के फैसले से समाज पर असर पड़ता है। सरकारों को उम्रकैद काट रहे कैदियों की सजा माफ करने के अधिकार का इस्तेमाल करने से पहले पीड़ितों के बारे में भी विचार करना चाहिए।

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला रद्द
इसी के साथ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें गुजरात सरकार को उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी को तीन माह के पेरोल पर रिहा करने और 20 साल काटने की वजह से सजा माफ कर रिहाई पर विचार करने को कहा गया था।

उम्रकैद का मतलब ताउम्र जेल
हालांकि सुप्रीम कोर्ट यह बात पहले भी कह चुका है कि उम्रकैद का मतलब ताउम्र जेल होता है लेकिन सरकार चाहे तो माफी दे सकती है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इस मामले में यह भी कहा था कि उम्रकैद के कैदियों को आटोमैटिक रिहाई नहीं मिलेगी बल्कि उन्हें इसके लिए सरकार के पास अर्जी लगानी होगी।

रिहाई के लिए केंद्र सरकार की सहमति जरूरी
अब इस फैसले का असर राजीव गांधी के सात हत्यारों की रिहाई पर पड़ेगा जो 25 साल से जेल में हैं और रिहाई की मांग कर रहे हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले में कहा था कि इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी, इसलिए रिहाई के लिए राज्य सरकार की नहीं बल्कि केंद्र सरकार की सहमति जरूरी है।

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