प्रधानमंत्री का पदभार संभालने का एक पखवाड़ा पूरा होने से पहले ही नरेंद्र मोदी रविवार को भूटान जाएंगे। इस हिमालयी देश से विशेष मित्रता दर्शाने के इरादे से उन्होंने इस पद पर आसीन होने के बाद पहली विदेश यात्रा के रूप में वहां जाने का फैसला किया है।
चीन द्वारा भूटान से पूर्ण रूपेण राजनयिक संबंध स्थापित करने के प्रयासों के बीच प्रधानमंत्री का पहली विदेश यात्रा के रूप में थिंपु जाने का फैसला अपने आप में महत्वपूर्ण है।
भूटान की दो दिवसीय यात्रा के दौरान वह वहां के नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और प्रधानमंत्री शेरिंग ताबगे से भेंट करेंगे। इस दौरान दोनों देश अपने संबंधों को और मजबूत बनाने तथा व्यापार एवं पन-बिजली परियोजनाओं को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान देंगे। मोदी के साथ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और विदेश सचिव सुजाता सिंह भी जाएंगे।
प्रधानमंत्री भूटान की नेशनल एसेंबली और नेशनल काउंसिल के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे और विपक्ष के नेता से मुलाकात करेंगे।
विदेश सचिव ने बताया, 'भूटान हमारा सबसे महत्वपूर्ण सामरिक पार्टनर है.. दक्षिण एशिया में अच्छे पड़ोसियों की हमारी नीति दर्शाने के लिए यह बहुत अच्छा देश है।' उनसे सवाल किया गया था कि मोदी ने पहली विदेश यात्रा के रूप में भूटान को क्यों चुना।
उन्होंने कहा, 'भूटान के साथ हमारे संबंध अनूठे और गर्मजोशी से भरे हैं। हमारे बीच की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कड़ी हमें स्वाभाविक मित्र और पार्टनर बनाती हैं।'
भूटान से करीबी रिश्ते बनाने के चीन के प्रयासों के बारे में पूछे जाने पर विदेश सचिव ने कहा, भूटान संप्रभु देश है और अपने हितों को ध्यान में रखते हुए उसके नेतृत्व को इस बारे में निर्णय करना है। भूटान की 2013-18 की 11वी पंचवर्षीय योजना के लिए भारत 4500 करोड़ रुपयों की पैकेज सहायता देने के साथ उसके ढांचागत क्षेत्रों और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी से लेकर स्वास्थ्य, कृषि, मानव संसाधन विकास तथा पर्यटन आदि में सहयोग कर रहा है।
सुजाता सिंह ने बताया कि पन बिजली, सीमेंट और सूचना प्रौद्योगिकी सहित भारत भूटान की 16 महत्वपूर्ण परियोजनाओं में मदद कर रहा है। इसके अलावा भारत स्कूलों, पुस्तकालयों, होस्टल सुविधाओं, पशु चिकित्सालयों, सिंचाई चैनलों, पेयजल योजनाओं और सामुदायिक केंद्रों जैसे भूटान की आम जनता को लाभ पहुंचाने वाले कार्यों से भी जुड़ा है।
दोनों देशों के बीच पन बिजली क्षेत्र में सहयोग भूटान और भारत दोनों के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध हो रहा है। दोनों देशों के बीच 3 पन बिजली परियोजनाएं पहले ही हैं और कुछ अन्य के लिए भी समझौते हुए हैं।
भूटान और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2012 में 6830 करोड़ रुपयों का हुआ। मोदी भूटान नरेश और वहां के प्रधानमंत्री के निमंत्रण पर जा रहे हैं। भूटान के प्रधानमंत्री 26 मई को मोदी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाने के भव्य समारोह में उपस्थित हुए थे।
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