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This Article is From Jul 17, 2017

राष्ट्रपति चुनाव 2017 : जीत चाहे किसी की भी हो, चर्चा में तो कानपुर शहर ही रहेगा

कोविंद जहां कानपुर के कल्याणपुर में रहते हैं, वहीं मीरा कुमार का ननिहाल कानपुर में है.

राष्ट्रपति चुनाव 2017 : जीत चाहे किसी की भी हो, चर्चा में तो कानपुर शहर ही रहेगा
एनडीए के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति बनना तय...
लखनऊ: राष्ट्रपति पद के लिए आज वोट डाले भाजपानीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद और विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार में से जीत किसी की भी हो, उत्तर प्रदेश का औद्योगिक शहर कानपुर चर्चा में रहेगा. कोविंद और मीरा कुमार से पहले वर्ष 2002 में कानपुर की ही लक्ष्मी सहगल भी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ चुकी हैं. हालांकि वे चुनाव हार गई थी.

हालांकि 71 वर्षीय कोविंद का जन्मस्थान कानपुर देहात का है, लेकिन अब कानपुर नगर ही उनका घर है. बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आये कोविंद राजग की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनाये जाने से पहले तक बिहार के राज्यपाल थे. दलीय स्थिति और कोविंद के लिए घोषित समर्थनों के हिसाब से देखें तो देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर उनके आसीन होने की पूर्ण संभावना लग रही है. कानपुर नगर के महर्षि दयानन्द विहार में कोविंद के पड़ोसी उन्हें ऐसे सौम्य और मृदुभाषी व्यक्ति के रूप में जानते हैं, जो सभी को साथ लेकर चलने में विश्वास करता है.

वर्ष 2006 से 2008 तक राज्यसभा के सदस्य रहे कोविंद के जनसम्पर्क अधिकारी अशोक त्रिवेदी का कहना है, "कोविंद जी बहुत साधारण परिवार से हैं और कड़ी मेहनत एवं समर्पण के बल पर यहां तक पहुंचे हैं." त्रिवेदी के अनुसार, "कोविंद जमीन से जुड़े नेता होने की वजह से भोजन भी बहुत सादा ही पसन्द करते हैं. वह वर्ष 2012 में मेरी पत्नी के निधन पर संवेदना व्यक्त करने के लिये मेरे घर आये थे." दूसरी ओर, राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार का ननिहाल कानपुर में है. पिछले शुक्रवार को लखनऊ आयीं मीरा उत्तर प्रदेश के साथ अपने रिश्ते बताने के दौरान अपने ननिहाल का जिक्र करना नहीं भूलीं. इससे एक बात तो तय है कि दोनों उम्मीदवारों में से चाहे जो भी राष्ट्रपति बने, कानपुर का चर्चा में आना तय है.


कोविंद और मीरा कुमार से पहले वर्ष 2002 में कानपुर की ही लक्ष्मी सहगल भी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ चुकी हैं. लक्ष्मी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की आजाद हिन्द फौज में थीं. उन्हें भाकपा, माकपा, रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी तथा ऑ इण्डिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने मुख्य रूप से समर्थन दिया था. उस चुनाव में राजग के प्रत्याशी डाक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को नौ लाख 22 हजार 884 जबकि लक्ष्मी को एक लाख सात हजार 366 वोट मिले थे.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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