श्रीनगर में G20 की बैठक को लेकर तैयारी तेज, जम्मू के लोगों ने उपेक्षा का लगाया आरोप

एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि “2019 के बाद पाकिस्तान प्रोपेगंडा करता रहा है की कश्मीर घाटी में मानव अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा इस G 20 बैठकों के ज़रिए उसे ग़लत साबित करने की योजना सरकार की है,”

श्रीनगर में G20 की बैठक को लेकर तैयारी तेज, जम्मू के लोगों ने उपेक्षा का लगाया आरोप

नई दिल्ली:

एक तरफ़ जब श्रीनगर में G 20 की बैठक की तैयारियाँ ज़ोर शोर से चल रही हैं वहीं तब जम्मू से आवाज़ उठ रही है कि डोगरा प्रदेश को क्यों मोदी सरकार नज़र अंदाज कर रही है. केंद्रीय गृह मंत्रालय का कहना है कि ऐसा करने के पीछे कोई भेदभाव करने की मंशा नहीं है. बल्कि केंद्र ये सबको दिखाना चाहता है की कश्मीर घाटी बाक़ी अन्य भारत की तरह शांत है.एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि “2019 के बाद पाकिस्तान प्रोपेगंडा करता रहा है की कश्मीर घाटी में मानव अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा इस G 20 बैठकों के ज़रिए उसे ग़लत साबित करना है,”

हालांकि जम्मू  के  लोगों को लग रहा है कि श्रीनगर और लद्दाख को अहमियत दी जा रही है और जम्मू को पीछे छोड़ा जा रहा है. जम्मू के एक बड़े नेता ने कहा कि वोट तो जम्मू से मांगते हैं लेकिन जब कोई इस तरह का बड़ा इवेंट होता है तो कश्मीर को शो केस किया जाता है जम्मू को नहीं. वैसे दिलचस्प बात ये है सबसे पहले जम्मू का मुद्दा कश्मीर के नेता उठा रहे हैं. जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जी20 के आयोजन को केवल लद्दाख में ही क्यों आयोजित किया जाता है? यह कश्मीर में क्यों आयोजित किया जाता है? जम्मू में क्यों नहीं आयोजन किया गया?,” उन्होंने प्रेस वार्ता के दोरान कहा. साथ ही सवाल पूछा की बीजेपी के जम्मू के नेता इस पर चुपी क्यों साधे हुए है.

वैसे बीजेपी के जम्मू कश्मीर के अध्यक्ष रवींद्र रैना का कहना है की फारूक अब्दुल्ला ऐसा बयान जम्मू कश्मीर को बांटने के लिए दे रहे है. “जम्मू-कश्मीर में जी-20 की बैठक हो रही है, जो सरकार का स्वागत योग्य फैसला है और लोग इसके लिए प्रधानमंत्री के आभारी हैं. कुछ लोगों को शांति, समृद्धि और विकास पच नहीं रहा और पेट में दर्द हो रहा है,”  

उनके मुताबिक़ जम्मू  कश्मीर एक इकाई है और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि बैठक श्रीनगर में हो रही है या जम्मू में. “यह लोगों के दिमाग में जहर घोलने और समाज को विभाजित करने की साजिश है जो सफल नहीं होगी ".

वैसे जम्मू ही नहीं कारगिल की पार्टियाँ भी लद्दाख से इस मसले को लेकर ख़फ़ा है. सज्जाद कारगिल ने कहा कि “यहां के लोगों को लगता है कारगिल को इग्नोर किया गया,” बता दें कि इस साल भारत 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में G20 के अलग-अलग कार्य समूहों  की बैठक कर रहा है. श्रीनगर में पर्यटन को लेकर ये बैठक मई 22-24 को होगी जिसका पाकिस्तान ने विरोध किया है. इसके पहले लद्दाख में भी एक बैठक हो चुकी है.

अरुणाचल प्रदेश में भी एक बैठक हुई थी जिस पर चीन ने नाराजगी जताई थी. केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक सीनियर अफ़सर ने कहा है कि अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर भारत के अभिन्न अंग हैं और सरकार इस मसले पर किसी दूसरे देश की बात सुनने को तैयार नहीं है. केंद्र सरकार को उम्मीद है कि श्रीनगर में होने वाली बैठक में ऐसी ही प्रतिक्रिया मिलेगी, जो कश्मीर घाटी में मानवाधिकारों के उल्लंघन के झूठे पाकिस्तानी प्रचार का करारा जवाब होगा.

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