3 years ago
- 2024 सहित बड़े चुनावों से पहले कांग्रेस को एक बार फिर पुनर्जीवित करने में भूमिका के लिए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की गांधी परिवार से दोबारा शुरू हुई वार्ता अगले चार हफ्तों में आकार ले सकती है. ये जानकारी वार्ता से जुड़े करीबी सूत्रों ने दी है.
- प्रशांत किशोर ने कथित तौर पर राहुल गांधी से संपर्क किया है. बता दें कि रणनीतिकार के करीब सूत्र कांग्रेस के इस बयान का खंडन करते हैं कि इस वार्ता का एजेंडा इस साल के अंत में होने वाले गुजरात चुनाव पर केंद्रित है. उनका कहना है कि कांग्रेस नेतृत्व और प्रशांत किशोर या 'पीके' मुख्य रूप से 2024 के आम चुनाव के ब्लू प्रिंट पर चर्चा कर रहे हैं.
- सूत्रों का कहना है कि गुजरात या किसी अन्य राज्य में चुनाव पीके के असाइनमेंट या जिम्मेदारी के तौर पर तभी दिए जाएंगे जब दोनों पक्ष 2024 के लिए किसीसमझौते पर पहुंच जाएंगे. हालांकि कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि प्रशांत किशोर के लिए लेटेस्ट पिच केवल गुजरात चुनावों पर काम करने के लिए तैयार की गई है, जिसमें आगे किसी चुनाव की बात नहीं है.
- वहीं प्रशांत किशोर की बात करें तो कथित तौर पर गांधी परिवार की इच्छा के विपरित कांग्रेस में परिवर्तन लाने की है. बेशक, हाल की चुनावी हार के बाद गांधी परिवार मु्श्किल स्थिति में है. पार्टी का एक वर्ग नेतृत्व परिवर्तन के पक्ष में है.
- सूत्रों का कहना है कि पीके का सलाहकार की भूमिका के बजाय कांग्रेस ज्वाइन करना अभी एक दूर की कौड़ी है. हालांकि इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि उनकी भविष्य की भूमिका की घोषणा के लिए 2 मई की समय सीमा को देखते हुए इस पर निर्भर करता है कि सभी मिशन 2024 पर सहमत हों.
- ममता बनर्जी की बंगाल जीत के कुछ हफ्ते बाद किशोर और गांधी परिवार के बीच बातचीत पिछले साल टूट गई. बंगाल की जीत में रणनीतिकार ने एक बड़ी भूमिका निभाई थी. बाद में कांग्रेस ने अपने चुनाव अभियानों को संभालने के लिए किशोर के एक पूर्व सहयोगी के साथ करार किया था.
- सूत्रों का कहना है कि प्रशांत किशोर के सार्वजनिक रूप से कांग्रेस और विशेषकर राहुल गांधी पर तीखे कटाक्ष के बावजूद बातचीत टूटने के कुछ महीने बाद और हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद दोनों पक्षों ने समझौता करने की इच्छा जताई. सूत्रों का तो ये भी कहना है कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत कभी नहीं रुकी.
- हालांकि इस बात की बहुत संभावना है कि बातचीत का राउंड 2 भी बेकार हो जाए, क्योंकि दोनों पक्षों ने अपने रुख में बदलाव नहीं किया है. पिछले साल के फरवरी मार्च के बाद अब गांधी और पीके भविष्य की योजनाओं पर विचार करने के लिए सहमत हुए हैं, लेकिन दोनों पक्षों को चार हफ्तों (पीके की मई की घोषणा से पहले) में फैसला लेना होगा.
- तृणमूल की गोवा हार (प्रशांत किशोर गोवा चुनाव में पार्टी के रणनीतिकार थे) और ममता बनर्जी के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद रणनीतिकार कथित तौर पर एक ठोस योजना के बिना किसी भी प्रकार की प्रतिबद्धता से बचना चाहते हैं. वैसे इस हार को लेकर उन्होंने तर्क दिया था कि गोवा में भी तृणमूल प्रमुख ने कांग्रेस से भाजपा विरोधी वोटों के विभाजन को रोकने के लिए गठबंधन के लिए सार्वजनिक अपील की थी.
- सूत्रों के मुताबिक- कथित तौर पर कांग्रेस नेतृत्व ने हाल ही में एक बैठक में पीके को लेकर गुजरात के पार्टी नेताओं से राय मांगी थी, हालांकि बहुमत ने उन्हें साइन अप करने का समर्थन किया, लेकिन वह अपनी भूमिका को एक राज्य तक सीमित रखने के लिए तैयार नहीं हैं.
- सूत्रों का कहना है कि दोनों पक्ष अपने विचारों पर अडिग रहने के साथ बातचीत के नाजुक बिंदु पर हैं, जहां से वे किसी भी तरफ जा सकते हैं.