एनडीटीवी के प्रणय रॉय ने कोरोना की महामारी के बाद की भारत की तस्वीर को लेकर अपने चार टाउन हॉल की दूसरी शृंखला में आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी समेत कई दिग्गज आर्थिक विशेषज्ञों के साथ चर्चा की. प्रणय रॉय ने कोरोना काल के दौरान गतिविधियों को जारी रखने में तकनीक की अहमियत पर भी विचार-विमर्श किया.
एनडीटीवी : पहले 10-12 सालों की जगह अब एक साल में कोरोना वैक्सीन तैयार होने, वैक्सीन बनाने की mRNA तकनीक और महामारी से लड़ने वाले अन्य तकनीकों के इस्तेमाल पर आपकी क्या राय है.
प्रोफेसर पॉल मिलग्रोम : 4जी तकनीक काम कर रही है और 5जी आने वाली है. इंटरनेट ऑफ थिंग्स से सब कुछ जुड़ जाएगा. हम ऐसे एक युग में प्रवेश कर रहे हैं, जब सेल्फ ड्राइविंग कार चलेंगी. ये कारें आपस में बातें करेंगी. हर चीज की ट्रैकिंग के कारण सामान की ढुलाई और लॉजिस्टिक्स में काफी सुधार आया है. 5G से काफी कुछ बदलेगा.
एनडीटीवी : तकनीक से अलग बात करें तो यह बजट बुनियादी ढांचे, निर्माण और विनिवेश से अलग निजीकरण की बात करता है. इस बजट में आप क्या बेहतर पाते हैं औऱ क्या रह गया
प्रोफेसर रघुराम राजन : इस बार बजट में पारदर्शिता और संतुलन महत्वपूर्ण है. कई चीजों का सही आकलन पेश किया गया है. हमारा आर्थिक प्रदर्शन बजट के अनुमानों से भी बेहतर रहने वाला है.
एनडीटीवी : अभिजीत बनर्जी आपको इस बजट में पहले की अपेक्षा क्या अंतर दिखता है.
प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी : इस बार बजट में स्पष्टता दिख रही है कि सरकार किस दिशा में आगे बढ़ना चाहती है, यह आपूर्ति पर केंद्रित बजट है. निर्माण पर काफी फोकस है.
एनडीटीवी : बजट के बाद आने वाले 2-3 सालों में आप क्या चुनौतियां देखते हैं.
प्रोफेसर कौशिक बसु : यह दिशा में मजबूत बजट दिखता है. लेकिन भविष्य को लेकर चिंता है. कोरोना काल में 2020 की बात करें तो भारत विकास दर के लुढ़कने के साथ 164वें स्थान पर पहुंच गया. कुछ साल पहले हम शीर्ष देशों में से एक थे. इन्फ्रास्ट्रक्चर पर फोकस बेहतर है, लेकिन ग्रामीण विकास का बजट 5 फीसदी घट गया.
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